Bhopal Tiranga Abhiyan : सीएम शिवराज ने बच्चों को बताया तिरंगे के रंगों का क्या है मतबल

Bhopal Tiranga Abhiyan : सीएम शिवराज ने बच्चों को बताया तिरंगे के रंगों का क्या है मतबल

Bhopal Tiranga Abhiyan : आजादी के 75वें अमृत महोत्सव पर देशभर में जश्न का माहौल है। हर घर तिरंगा अभियान Har Ghar Tiran Agbhiyan पूरे देश में चल रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा यात्रा Tiranga Abhiyan की तस्वीरें भी सामने आ रही है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के मॉडल स्कूल Model School में शिवराज मामा की पाठशाला Shivraj Mama ki Pathshala कार्यक्रम में तिरंगे के इतिहास पर आधारित जानकारी बच्चों को दिया।  इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पाठशाला में राष्ट्रीय ध्वज की विकास गाधा, महत्व और ध्वज फहराने की सावधानियों के विषय में बच्चो से संवाद किया। 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों को बताया, 1929 में लाहौर  में कांग्रेस का एक अधिवेशन हुआ। जिसमें पूर्ण स्वराज चाहिए उससे कम कुछ नहीं चाहिए। इसका उद्देश्य रखा गया। कराची में 1931 में फिर अधिवेशन हुआ तो कराची के उस अधिवेशन में इस ध्वज को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। आप देखेंगे ऊपर लाल रंग बीच में  स्वेत मतलब सफेद रंग और नीचे हरा रंग और तीनों रंग के अपने अपने महत्त्व और प्रतीक थे। लाल रंग बलिदान का प्रतीक था,  सफेद रंग पवित्रता का प्रतीक और हरा रंग आशा का प्रतीक बन गया और देश की प्रगति का प्रतीक चरखा इसके बीच में इसके केंद्र में जोड़ा गया  ये 1931 में हुआ। तिरंगे का ये स्वरूप राष्ट्रध्वज का ये स्वरूप हमारे सामने आया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, आज देश को मरने की नहीं, देश के लिए जीने की जरूरत है। ये भाव अगर हमारे मन में रहा तो स्फूर्ति और प्रेरणा सदैव बनी रहेंगी।महात्मा गांधी लोगों की श्रद्धा का केंद्र बने। लगभग पूरे भारत का दिल जीत लिया। आजादी की लड़ाई के मार्गदर्शक बन गए।1921 में महात्मा गांधी ने यह महसूस किया हमारे देश का एक राष्ट्रीय ध्वज होना चाहिए। एक भारतीय ध्वज महात्मा गांधी जी ने इसकी आवश्यकता महसूस की! महात्मा गांधी जी ने ध्वज बनाने का काम श्री पिंगली वैंकैया जी को दिया।  और उन्होंने कहा "ध्वज में चरखे के साथ ध्वज का डिजाइन बनना चाहिए।"

तिरंगा फहराते समय ध्यान रखने योग्य बातें

1. सम्मानपूर्ण स्थान पर ही तिरंगा फहरायें

2. तिरंगे को सदैव बिगुल की आवाज के साथ ही फहराएं

3. फटा या मैला ध्वज बिल्कुल ना फहरायें

4. ध्वज केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है

5. किसी दूसरे ध्वजा या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर ना लगाएं

6. ध्वज पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए

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