Friday, October 18, 2024
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बालाघाट : डीजीपी ने जवानों के साथ किया भोजन, बैरक में गुजारी रात

प्रदेश पुलिस के मुखिया सुधीर कुमार सक्सेना अचानक हाँक फोर्स के डोरा कैप पहुंच गए। वहां मौजूद जवानों ने कैंप के अंदर जाने से उन्हें रोक दिया। संवेदनशील स्थानों पर प्रवेश के लिए आला अफसरों को एक पासवर्ड दिया जाता है। यह हॉक फोर्स कैंप में प्रवेश के लिए भी लागू है। डीजीपी को कैप में प्रवेश के लिए पासवर्ड दिखाना पड़ा, उसके बाद उन्हें प्रवेश दिया गया। उसके बाद डीजीपी ने जवानों की संराहना और हौसला आफजाई की।

सुधीर कुमार सक्सेना : प्रदेश पुलिस के मुखिया सुधीर कुमार सक्सेना अचानक हाँक फोर्स के डोरा कैप पहुंच गए। वहां मौजूद जवानों ने कैंप के अंदर जाने से उन्हें रोक दिया। संवेदनशील स्थानों पर प्रवेश के लिए आला अफसरों को एक पासवर्ड दिया जाता है। यह हॉक फोर्स कैंप में प्रवेश के लिए भी लागू है। डीजीपी को कैप में प्रवेश के लिए पासवर्ड दिखाना पड़ा, उसके बाद उन्हें प्रवेश दिया गया। उसके बाद डीजीपी ने जवानों की संराहना और हौसला आफजाई की।

डीजीपी ने बालाघाट जिले में स्थापित हॉकफोर्स कैप पितकोना, डाबरी, सोनगुडुर, डोरा एवं सीआरपीएफ के कैप बिठली का औचक भ्रमण किया। जब डीजीपी हाँक फोर्स कैंप पर पहुंचे, तो वहां संतरी द्वारा सुरक्षा प्रोटोकाल के तहत उन्हें रोक दिया गया। परिचय पूछा और फिर पासवर्ड बताने को कहा। जब तक पासवर्ड नहीं बताया, तब तक कैप में डीजीपी को प्रवेश नहीं दिया गया।

बैरक में गुजारी रात

उसके बाद डौलीपी सुधीर सक्सेना रात को हाँक फोर्स कैप डोरा पहुंचे, जहां पर उन्होंने जवानों के साथ भोजन किया और बैरक में रात्रि विश्राम भी जवानों के साथ किया। इस दौरान उन्होंने जवानों के साथ अनौपचारिक चर्चा की एवं नक्सल समस्या को राखत्म करने के लिए उनके सुझाव लिए। काफोर्स कैम्प में रात्रि के समय की जाने वाली सुरक्षा दिल में भी डीजीपी शामिल हुए। उन्होंने नवीन नक्सल आत्मसमर्पण नीति के प्रावधानों का प्रचार स्थानीय निवासियों के माध्यम से करने तथा नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करने का भी मातहतों को दिए हैं।

रोकी गई आठ करोड़ की राशि

बैठक में बताया गया कि नक्सलियों के वित्त पोषण को रोकने के लिए भी प्रभावी कार्यवाही की गई है। इसमें तेंदूपत्ता तुड़ाई के सौजन के दौरान की जाने बाली अवैध वसूली पर भी रोक लगाने में मध्यप्रदेश पुलिस सफल रही है। तीन सालों में लगभग 8 करोड़ की राशि नक्सलियों तक पहुंचने से रोकी गई है। इस बात की पुष्टि मुठभेड़ में मिले पत्र और गिरफ्तार नक्सली से भी हुई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलो द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियानों तथा विकास योजनाओं के कारण लोगों में मध्यप्रदेश सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसका प्रमाण हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव से होता है, जिसमें सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत अन्य मतदान केंद्रों की अपेक्षा ज्यादा रहा है।

चिन्हित अभियानों में गति लाएं

डीजीपी ने जवानों से कहा कि आपके मनोबल में वृद्धि के लिए नवीन भत्ते तथा अभियानों में बेहतर काम करने के लिए क्रमपूर्व पदोन्नतियां (ओटी) दी गई है। उन्होंने सचिंग, एरिया डॉमिनेशन तथा इंट बेस्ड ऑपरेशन की समीक्षा कर नक्सल मूवमेंट के चिन्हित क्षेत्रों में अभियानी में और अधिक गति लाने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान उनकी ओर से कैंपों में स्थित बैरकों का निरिक्षण कर आवश्यक साफ सफाई रखने के लिए भी कहा है। जवानों से चर्चा के दौरान उनकी समस्याओं को जाना एवं त्वरित निराकरण के लिए मातहतों को निर्देश भी दिए हैं।

नक्सलियों के खिलाफ तीन राज्यों की रणनीति

नक्सल अभियान पर अंकुश लगाने के लिए सक्सेना ने बैठक बुलाई थी। इस बैठक में बालाघाट रेज के आईजी, डीआईजी, एसपी के साथ कलेक्टर भी शामिल हुए। बैठक में पुलिस अधीक्षक गोंदिया (महाराष्ट्र), कबीरधाम (छत्तीसगढ़) तथा सौरागढ़ (छत्तीसगढ़) ने भी हिस्सा लिया। इस बैठक में सामूहिक रणनीति के तहत आपसी समन्वयन स्थापित कर नक्सल अभियान में तेजी लाने एवं नक्सलवाद के खात्मे के लिए विस्तार से चर्चा की गई। नक्सल अभियान में अपनायी जाने वाली रणनीति, सीमावर्ती जिलों में आपसी समन्वय तथा संयुक्त अभियानों को और प्रभानी तथा कारगर बनाये जाने के संबंध में कार्ययोजना पर विचार किया गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचालित विकास संबंधी योजनाओं के जैसे सड़क, सम्पर्क, पर्यावरण, दूरसंचार से संबंधित विकास कार्यों को समयावधि में पूर्ण करने के लिए चचर्चा की गई। मकसद जन सामान्य का विश्वास बढ़ाना है।

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