• ज़ूनो जनरल इंश्योरेंस के अनुसार, वित्त-वर्ष 2025 के मानसून सीजन में जून से सितंबर के दौरान टाइफाइड के दावों में 37% की बढ़ोतरी हुई।
• इस मौसम में गंभीर गैस्ट्रोएंटेराइटिस, वायरल बुखार, डेंगू, निमोनिया और टाइफाइड जैसी संक्रामक बीमारियों के मामले सबसे अधिक होते हैं, जिनकी वजह से दावों में 36% की वृद्धि दर्ज की गई।
• इसके अलावा, 31 से 45 साल की उम्र के लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दर में 43% की बढ़ोतरी हुई, जबकि दावों में पुरुषों व महिलाओं का अनुपात 53:47 पर स्थिर बना रहा।
मुंबई : ज़ूनो जनरल इंश्योरेंस नए जमाने की और डिजिटल साधनों को सबसे ज़्यादा अहमियत देने वाली बीमा कंपनी है, जिसे पहले एडलवाइस जनरल इंश्योरेंस के नाम से जाना जाता था। कंपनी ने इस बार मानसून के मौसम में जून से सितंबर के दौरान टाइफाइड तथा रोगाणुओं से होने वाली दूसरी बीमारियों के दावों में काफी बढ़ोतरी दर्ज की है। आंकड़ों से पता चलता है कि, पिछले साल की तुलना में इस साल मानसून की अवधि ज़्यादा होने की वजह से टाइफाइड के मामलों में 37% की वृद्धि हुई है। टाइफाइड के दावों में यह बढ़ोतरी सामान्य रूप से मानसून के दौरान होने वाली बीमारियों के ट्रेंड से बिल्कुल अलग है, जिसमें आमतौर पर वायरल संक्रमण के मामले सबसे अधिक होते हैं, जिससे पता चलता है कि प्रभावित क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं में बदलाव आया है।
इस बार मानसून के मौसम में दर्ज की गई शीर्ष पाँच संक्रामक बीमारियों में टाइफाइड के अलावा एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस (AGE), वायरल बुखार, डेंगू और निमोनिया भी शामिल है। इन बीमारियों की वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल हेल्थ क्लेम में 36% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, और इस वृद्धि में रोगाणुओं की वजह से होने वाली बीमारियों की हिस्सेदारी 24% थी।
बीमारी से प्रभावित इलाकों में क्षेत्रीय स्तर पर उतार-चढ़ाव भी ध्यान देने योग्य हैं। एक तरफ, वित्त-वर्ष 2025 में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात में इन संक्रामक बीमारियों के सबसे अधिक दावे दर्ज किए गए, जो वित्त-वर्ष 2024 की तुलना में बिल्कुल अलग स्थिति को दर्शाता है, क्योंकि इस दौरान महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा सबसे अधिक प्रभावित थे।
इन बीमारियों के इलाज की लागत में भी थोड़ा बदलाव आया है, तथा पिछले साल की तुलना में इस साल वायरल बीमारियों के लिए हर दिन दावे पर होने वाले खर्च में 2% की बढ़ोतरी हुई है। मुख्य रूप से देखा जाए तो बेहतर दवाओं की ज़रूरत के कारण प्रति दावे की लागत में बढ़ोतरी हुई है, जिसे जाहिर होता है कि इस अवधि के दौरान अक्सर वायरल संक्रमण के लिए बड़े स्तर के इलाज की ज़रूरत होती है। इस तरह के मरीजों के अस्पताल में रहने की औसत अवधि लगभग 3.5 दिन थी, जो पिछले वर्षों के बराबर थी, जबकि दावे की रकम 9,000 रुपये से लेकर अधिकतम 6.8 लाख रुपये तक थी।
इस मौके पर श्री नितिन देव, चीफ़ टेक्नोलॉजी ऑफिसर, स्ट्रेटजी, ज़ूनो जनरल इंश्योरेंस, ने कहा, “टाइफाइड गंदे पानी या खाने के ज़रिये फैलने वाली बीमारी है, जिसके मामलों में मौजूदा बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि लंबे समय के मानसून से इसका गहरा नाता है। इसका असर मुख्य रूप से पालघर, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और दिल्ली एनसीआर जैसे शहरों में देखा गया। संक्रमण के मामलों में यह बढ़ोतरी हमें सावधान रहने की अहमियत पर जोर देती है, क्योंकि पर्यावरण से जुड़े घटकों का स्वास्थ्य सेवा के परिणामों पर प्रभाव पड़ता है। ज़ूनो इस दिशा में हुई प्रगति में सबसे आगे रहने और अपने पॉलिसीधारकों के सामने आने वाले बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करने के लिए उपयुक्त कवरेज उपलब्ध कराने के वादे पर कायम है।”
पिछले साल की तरह, इस बार भी अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों में 31 से 45 साल की उम्र के वयस्कों के मामले सबसे ज़्यादा थे। आंकड़ों के अनुसार, इस आयु-वर्ग के लोग सबसे अधिक प्रभावित हुए तथा पिछले साल की तुलना में आवृत्ति में 43% की वृद्धि हुई। इस आयु-वर्ग के इन संक्रामक बीमारियों से ग्रस्त होने की अधिक संभावना मुख्य रूप से आबादी से जुड़ी प्रवृत्तियों को दर्शाती है, जिसमें लैंगिक आधार पर रोगाणुओं से होने वाली बीमारियों का बोझ पहले की तरह स्थिर है, तथा दावों में पुरुषों व महिलाओं का अनुपात 53:47 है।
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