मुंबई: यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अपने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एप्लिकेशन, जिसे व्यापक रूप से डिजिटल रुपी (e₹) के रूप में जाना जाता है, में एक्सेसिबिलिटी फीचर की शुरुआत की है। इस पहल के साथ, यूनियन बैंक समावेशिता को बढ़ावा देने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का पहला बैंक बन गया है। यह कदम बैंक की वित्तीय समावेशन और नवाचार को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।
डिजिटल रुपी, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी और विनियमित, फ़िएट करेंसी का एक डिजिटल रूप है। यह वॉलेट-आधारित लेनदेन, यूपीआई क्यूआर कोड के साथ अंतर-संचालन, ऑटो-लोड कार्यक्षमता, और रीयल-टाइम निपटान जैसी सुविधाएं प्रदान करता है।
एक्सेसिबिलिटी फीचर्स: दिव्यांगजनों के लिए एक क्रांतिकारी कदम
नए एक्सेसिबिलिटी फीचर्स दिव्यांगजनों के लिए डिजिटल रुपी की पहुंच को और आसान बनाते हैं। ये फीचर्स विशेष रूप से दृष्टिबाधित व्यक्तियों को एप्लिकेशन को सरलता से नेविगेट करने और उपयोग करने में मदद करेंगे।
प्रमुख संवर्द्धन:
- वॉयस-ओवर संगतता:
एप्लिकेशन के प्रत्येक एलिमेंट को उचित रूप से लेबल किया गया है, जिससे स्क्रीन रीडर एक सहज अनुभव प्रदान करता है। - जेस्चर-आधारित नेविगेशन:
सरल जेस्चर जैसे स्वाइप-टू-नेविगेट और डबल-टैप-टू-सिलेक्ट के माध्यम से उपयोगकर्ता आसानी से एप्लिकेशन का उपयोग कर सकते हैं। - प्लेटफ़ॉर्म संगतता:
यह फीचर iOS और Android दोनों प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध है।
बैंक का दृष्टिकोण: समावेशिता और नवाचार
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की प्रबंध निदेशक एवं सीईओ, ए. मणिमेखलै ने कहा:
“यूनियन बैंक ऑफ इंडिया वित्तीय समावेशन और नवाचार के प्रति प्रतिबद्ध है। हमारे डिजिटल रुपी एप्लिकेशन में एक्सेसिबिलिटी फीचर्स को शामिल करके, हम तकनीकी बाधाओं को खत्म कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अत्याधुनिक तकनीक के लाभ हर किसी तक पहुंचें।”
डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक नई शुरुआत
यूनियन बैंक डिजिटल एक्सेसिबिलिटी में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह पहल न केवल दिव्यांगजनों के लिए डिजिटल सेवाओं को सुलभ बनाएगी, बल्कि व्यापक ग्राहक आधार को डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए सशक्त करेगी।
सीबीडीसी का उपयोग भौतिक मुद्रा की छपाई, वितरण, और प्रबंधन की लागत को कम करेगा। यह नकद-आधारित लेनदेन से सुरक्षित और कुशल डिजिटल लेनदेन की ओर बदलाव को प्रोत्साहित करेगा, जो सरकार के कम-नकदी अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण को समर्थन देता है।
यूनियन बैंक की यह पहल डिजिटल समावेशिता के क्षेत्र में एक नई मिसाल पेश करती है और आधुनिक तकनीक के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।