13वें वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष:
- यह सर्वेक्षण पूरे भारत की 85 जगहों पर, 7 से 17 आयु वर्ग के 1,16,650 बच्चों पर किया गया।
- सरकारी स्कूलों के बच्चों ने बीएमआई, शरीर के निचले हिस्से की ताकत, एरोबिक और एनारोबिक क्षमता व लचीलेपन के मामले में निजी स्कूलों से बेहतर प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली : स्पोर्ट्ज़ विलेज के 13वें वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (AHS) ने स्कूल जाने वाले बच्चों की फिटनेस और सेहत को लेकर चिंता बढ़ाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य भारत के स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य व फिटनेस स्तर का विश्लेषण और मूल्यांकन करना है।
क्षेत्रीय प्रदर्शन:
- पूर्वी क्षेत्र: 56.40% बच्चों की समग्र फिटनेस के साथ देश का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला क्षेत्र।
- उत्तरी क्षेत्र: फिटनेस के तीन प्रमुख मापदंडों – शरीर के निचले हिस्से की ताकत (35%), पेट की ताकत (81%), और एनारोबिक क्षमता (58%) में सबसे कमजोर प्रदर्शन।
- दक्षिणी क्षेत्र: बीएमआई (60.12%), एरोबिक क्षमता (31%), एनारोबिक क्षमता (62%) और पेट की ताकत (87%) में अच्छा प्रदर्शन, लेकिन ऊपरी शरीर की ताकत और लचीलापन सुधार योग्य।
- पश्चिमी क्षेत्र: सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला क्षेत्र, जिसमें सभी मापदंडों में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त हुए।
महत्वपूर्ण निष्कर्ष:
- 5 में से 2 बच्चों का बीएमआई खराब है।
- 5 में से 3 बच्चों के शरीर के निचले हिस्से की ताकत पर्याप्त नहीं है।
- 3 में से 1 बच्चे में पर्याप्त लचीलापन नहीं है।
- 5 में से 3 बच्चे जरूरी एरोबिक क्षमता पूरी नहीं करते।
- 5 में से 1 बच्चे में पेट या कोर की पर्याप्त ताकत नहीं है।
- 5 में से 2 बच्चों के पास पर्याप्त एनारोबिक क्षमता नहीं है।
- 5 में से 3 बच्चों के ऊपरी शरीर में पर्याप्त ताकत नहीं है।
- लड़कियों (62.23%) की तुलना में लड़कों (57.09%) का बीएमआई कम संतोषजनक है।
- लचीलेपन, पेट की ताकत, एनारोबिक क्षमता और ऊपरी शरीर की ताकत में लड़कियों ने लड़कों को पछाड़ दिया है।
सरकारी बनाम निजी स्कूलों का प्रदर्शन:
- सरकारी स्कूलों के बच्चों ने बीएमआई (61.64%), शरीर के निचले हिस्से की ताकत (48%), एरोबिक क्षमता (37%), एनारोबिक क्षमता (75%) और लचीलापन (75%) में निजी स्कूलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
- निजी स्कूलों के बच्चों का ऊपरी शरीर की ताकत (47%) और पेट की ताकत (87%) में बेहतर प्रदर्शन।
पी.ई. कक्षाओं की भूमिका: सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि जो बच्चे प्रति सप्ताह दो से अधिक पी.ई. कक्षाओं में भाग लेते हैं, उनका बीएमआई, ऊपरी शरीर की ताकत और लचीलापन बेहतर होता है। इससे स्कूलों में संगठित खेल कार्यक्रमों के महत्व को बल मिलता है।
स्पोर्ट्ज़ विलेज के नेतृत्व का विचार: स्पोर्ट्ज़ विलेज के को-फाउंडर, सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर सौमिल मजमुदार ने कहा, “बच्चों को स्वाभाविक रूप से खेलना पसंद होता है, फिर भी खेल अक्सर शिक्षा से पीछे रह जाते हैं। 13वें एएचएस से निकले निष्कर्ष इस जरूरत को रेखांकित करते हैं कि शिक्षा और खेल में संतुलन आवश्यक है।”
स्पोर्ट्ज़ विलेज के को-फाउंडर और फाउंडेशन के प्रमुख परमिंदर गिल ने कहा, “सरकारी स्कूल के बच्चों का बेहतर फिटनेस स्तर उत्साहजनक है। खेल न केवल अकादमिक प्रदर्शन में मदद करते हैं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक कौशल को भी बढ़ावा देते हैं। नीतिगत समर्थन और सीएसआर-समर्थित उपायों के जरिए इस सुधार को और बढ़ावा देना चाहिए।”
स्पोर्ट्ज़ विलेज के बारे में: स्पोर्ट्ज़ विलेज भारत का सबसे बड़ा स्कूल खेल संगठन है, जो खेल को शिक्षा और विकास का अभिन्न अंग बनाने के लिए समर्पित है। 2003 में स्थापित, यह संगठन अपने एडुस्पोर्ट्स पी.ई. कार्यक्रम, #स्पोर्ट्सफॉरचेंज विकास पहल और पाथवेज़ स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम के माध्यम से बच्चों के स्वास्थ्य और फिटनेस में सुधार के लिए कार्यरत है। वर्तमान में, यह 22 राज्यों के 500 से अधिक स्कूलों में 300,000 से अधिक बच्चों को लाभ पहुंचा रहा है और अब तक 66 लाख से अधिक बच्चों तक अपनी पहुंच बना चुका है।