Saturday, January 11, 2025
No menu items!
spot_img
Homeलेखप्रवासी भारतीय दिवस पर डॉ. रेखा चतुर्वेदी की पुस्तक का विमोचन

प्रवासी भारतीय दिवस पर डॉ. रेखा चतुर्वेदी की पुस्तक का विमोचन

फिजी में भारतीयों का इतिहास तथा उनका जीवन (1879 – 1947)” ने खोले गिरमिटिया मजदूरों के संघर्ष के पन्ने

लखनऊ: प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर प्रख्यात लेखिका और शिक्षाविद् डॉ. रेखा चतुर्वेदी ने अपनी पुस्तक फिजी में भारतीयों का इतिहास तथा उनका जीवन (1879 – 1947)” का विमोचन किया। यह पुस्तक भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के जीवन, उनकी पीड़ा और उनके संघर्षों पर आधारित है, जो ब्रिटिश शासन के दौरान फिजी भेजे गए थे।

पुस्तक में छिपी है भारतीय प्रवासियों की दर्दनाक कहानी
डॉ. रेखा चतुर्वेदी ने अपने पीएचडी शोध पर आधारित इस पुस्तक में भारत में ब्रिटिश शासन द्वारा गिरमिटिया मजदूरों के साथ किए गए दुर्व्यवहार और उनकी दुर्दशा को विस्तार से दर्शाया है। इस पुस्तक में न केवल उनके संघर्षों की गहन जानकारी दी गई है, बल्कि उनके बलिदानों की अनसुनी कहानियों को भी उजागर किया गया है। उन्होंने कहा, यह पुस्तक भारतीय प्रवासी समुदाय के संघर्षों और उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की एक सार्थक कोशिश है।”

प्रवासी भारतीय दिवस और पुस्तक का महत्व
18वें प्रवासी भारतीय दिवस का उद्घाटन 9 जनवरी 2025 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस खास मौके पर इस पुस्तक का विमोचन किया जाना प्रवासी भारतीय समुदाय के महत्व को दर्शाता है। यह पुस्तक भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के बलिदान और उनकी अमानवीय परिस्थितियों में किए गए संघर्षों को सम्मान देने का प्रतीक है।

साहित्यिक पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक जुड़ाव
डॉ. रेखा चतुर्वेदी, स्वर्गीय पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी (राज्यसभा सांसद) की पोती हैं, जिन्होंने प्रवासी भारतीयों पर व्यापक कार्य किया। उनकी पुस्तक फिजी में मेरे 21 वर्ष”, श्री तोताराम सनाढ्य के अनुभवों पर आधारित है, जो स्वयं एक गिरमिटिया मजदूर थे।

गिरमिटिया मजदूरों के संघर्ष की कहानी
गौरतलब है कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय मजदूरों को गिरमिटिया” या “कुली” के नाम से जाना जाता था। उन्हें दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, त्रिनिदाद, गुयाना और फिजी जैसे देशों में कठोर और अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए भेजा गया था। यह भारत के औपनिवेशिक इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय है।

सस्ता साहित्य मंडल द्वारा प्रकाशित
सस्ता साहित्य मंडल द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में फिजी में गिरमिटिया मजदूरों के कठिन जीवन, उनकी सेवाओं और उनकी अमानवीय परिस्थितियों को विस्तार से चित्रित किया गया है। यह पुस्तक प्रवासी भारतीय समुदाय के इतिहास को समझने और उनके संघर्षों को सम्मान देने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

डॉ. रेखा चतुर्वेदी की यह पुस्तक प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर भारतीय प्रवासी समुदाय के इतिहास को संजोने और उनकी कहानियों को पहचान देने का एक अहम प्रयास है।

सम्बंधित ख़बरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

लेटेस्ट