Wednesday, March 19, 2025
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एक्ज़ोनोबेल की ‘इंद्रधनुष’ महिलाएं: पेंटिंग के ज़रिए ग्रामीण भारत के भविष्य को बना रहीं समावेशी

गुरुग्राम: एक प्रोफेशनल पेंटर की छवि आपके मन में आते ही क्या सबसे पहले पुरुष की तस्वीर उभरती है? अब कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया की, जहां लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो। इसी सोच को हकीकत में बदलने के लिए एक्ज़ोनोबेल इंडिया अपनी ‘इंद्रधनुष’ महिलाओं का जश्न मना रहा है। ये महिलाएं डेकोरेटिव पेंटिंग के पारंपरिक पुरुष-प्रधान उद्योग में बदलाव की बयार ला रही हैं।

पिछले चार वर्षों में, एक्ज़ोनोबेल की सामाजिक पहल ‘प्रोजेक्ट इंद्रधनुष’ ने भारत के 7 राज्यों के 940 से अधिक गांवों में 3100 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को स्थायी आजीविका के नए साधन प्रदान किए हैं। अब तक 2100 से अधिक महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिससे वे स्वतंत्र प्रोफेशनल पेंटर बनी हैं, जबकि 1000 महिलाएं सफल पेंट-प्रेन्योर्स के रूप में उभरी हैं।

महिलाओं के विकास से समृद्ध समाज

इस पहल पर रोशनी डालते हुए, एक्ज़ोनोबेल इंडिया के एक्ज़क्टिव डायरेक्टर, रोहित तोतला ने कहा, “हमारा मानना है कि जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो पूरा समाज फलता-फूलता है। ‘प्रोजेक्ट इंद्रधनुष’ ग्रामीण महिलाओं की अप्रयुक्त क्षमता का उपयोग कर उन्हें पेंटिंग उद्योग में अवसर प्रदान करता है। हम गर्व महसूस करते हैं कि हमारी ‘इंद्रधनुष’ महिलाओं ने अपनी मेहनत से एक नई पहचान बनाई है और अपने भविष्य को उज्जवल रंगों में रंग दिया है। उनका आत्मनिर्भरता की ओर यह सफर समाज के लिए भी प्रेरणादायक है।”

कहानियां जो बदलाव की मिसाल बनीं

मध्य प्रदेश के रतलाम ज़िले के नगारी गांव की 40 वर्षीय महिला किसान, अवंती बाई धाकड़ जैसी हजारों महिलाओं की ज़िंदगी ‘प्रोजेक्ट इंद्रधनुष’ ने बदल दी है। डेकोरेटिव पेंटिंग के ज़रिए उन्हें न केवल आय का एक नया स्रोत मिला, बल्कि आत्मविश्वास और स्वतंत्रता का भी अनुभव हुआ। इसी तरह, एक छोटे से जनरल स्टोर से अपने परिवार की कमाई बढ़ाने का अनिल और अंतिम बाला का सपना भी अब पूरा हो गया है। पेंट-प्रेन्योर्स बनने के बाद उनकी मासिक आय में 70% की वृद्धि हुई है, जिससे वे अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए बेहतर योजनाएं बना पा रहे हैं।

प्रोजेक्ट इंद्रधनुष का विस्तार

2021 में असम के दरांग जिले से शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है और हर साल अधिक महिलाओं को सशक्त बना रहा है। आज यह पहल:

  • तमिलनाडु के विल्लुपुरम, तिरुवल्लूर और कांचीपुरम जिलों के 270 गांवों में
  • पश्चिम बंगाल के हावड़ा, बांकुरा, पश्चिम बर्धमान, पुरुलिया और पूर्वी मिदनापुर जिलों के 480 गांवों में
  • मध्य प्रदेश के उज्जैन, रतलाम और मंदसौर जिलों के 120 गांवों में
  • झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के 30 गांवों में
  • हरियाणा के नूंह जिले की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है।

एक्ज़ोनोबेल का यह प्रयास न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बना रहा है, बल्कि ग्रामीण भारत के सामाजिक ताने-बाने में समावेशी बदलाव भी ला रहा है। यह पहल उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो समान अवसरों से भरे भविष्य का सपना देखते हैं।

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