मुंबई : एक्सिस बैंक की इंडिया इकोनॉमिक एंड मार्केट आउटलुक 2025 रिपोर्ट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वित्त वर्ष 2026 में 7% की विकास दर का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि घरेलू कारकों द्वारा प्रेरित होगी, भले ही वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएं बनी रहें।
रिपोर्ट की मुख्य बातें:
- वैश्विक आर्थिक परिदृश्य:
- 2025 में वैश्विक वृद्धि 2024 की तरह 3.2% पर स्थिर रहेगी, जो पूर्व-कोविड स्तरों से ~30-40 बीपीएस कम है।
- व्यापार में धीमापन, चीन की कम वृद्धि दर और अमेरिकी नीतियों के बदलाव के कारण अनिश्चितता बढ़ी है।
- वैश्विक व्यापार और वित्तीय बाजारों में उच्च ब्याज दरें और मुद्रा अस्थिरता जारी रहने की संभावना है।
- भारत के विकास के प्रमुख चालक:
- घरेलू पूंजी निर्माण में सुधार हो रहा है, जो पूंजीगत व्यय चक्र के पुनः शुरू होने से प्रेरित है।
- वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही में बढ़े राजकोषीय व्यय से विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- सीआरआर कटौती और संभावित मैक्रो-प्रूडेंशियल नीतियां क्रेडिट ग्रोथ में सुधार करेंगी।
- चुनौतियां:
- विकसित अर्थव्यवस्थाओं में उच्च ब्याज दरें और USDINR की बढ़ती अस्थिरता भारत के लिए चुनौती बन सकती हैं।
- मुद्रास्फीति में कमी तुरंत नहीं दिखेगी, क्योंकि खाद्य और मुख्य मूल्य सूचकांक उच्च स्तर पर हैं।
- सुधारों का अवसर:
- राज्य चुनावों के कम होने से सुधारों को लागू करने का मौका मिलेगा।
- स्मार्ट नीतियों और निवेश के जरिए दीर्घकालिक सुधार किए जा सकते हैं।
विशेषज्ञ की राय:
एक्सिस बैंक के चीफ इकॉनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्रा ने कहा:
“वैश्विक व्यापार में सुस्ती और मुद्रास्फीति के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू मांग, पूंजीगत व्यय और सुधारों के कारण तेज़ी से बढ़ेगी। 7% की वृद्धि दर हासिल करने में सरकार के खर्च और क्रेडिट ग्रोथ की भूमिका अहम होगी।”
सह-लेखक प्रतीक अंचा, तनय दलाल, पुलकित कपूर और स्मृति मेहरा ने रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को बेहतर नीतियों और घरेलू मांग से मजबूती मिलेगी।