कोलकाता : मणिपाल हॉस्पिटल्स, भारत के सबसे बड़े और अग्रणी स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क में से एक, ने हृदय चिकित्सा में एक बड़ा कदम उठाते हुए पूर्वी भारत का पहला एआई-संचालित, वायरलेस इंजेक्टेबल पेसमेकर का सफल प्रत्यारोपण किया है। यह आधुनिक पेसमेकर, जिसे एबॉट कंपनी द्वारा विकसित किया गया है, हाल ही में भारतीय बाजार में उपलब्ध हुआ और मणिपाल अस्पताल, ढाकुरिया ने इसे 65 वर्षीय एक रोगी पर सफलतापूर्वक लागू किया।
यह डिवाइस पारंपरिक पेसमेकर का एक उन्नत और कम आक्रामक विकल्प है। इसे पहले ही संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा चुका है। अब इसे भारत में पेश करके मणिपाल हॉस्पिटल्स ने देश में हृदय देखभाल को एक नई दिशा दी है।
वायरलेस पेसमेकर: आधुनिक हृदय चिकित्सा का भविष्य
इस अभिनव पेसमेकर का वजन केवल 2.4 ग्राम है और यह सीधे हृदय के दाएं वेंट्रिकल में इंजेक्ट किया जाता है। इसमें नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे हृदय में सुरक्षित रूप से स्थापित करता है। इसकी विशेषताएं इसे पारंपरिक पेसमेकर से अधिक प्रभावी बनाती हैं:
- लंबा जीवनकाल: यह डिवाइस 20-25 वर्षों तक काम कर सकता है, जबकि पारंपरिक पेसमेकर की आयु केवल 7-8 वर्ष होती है।
- गैर-चुंबकीय डिजाइन: एयरपोर्ट स्कैनर, एमआरआई और विद्युत तरंगों से सुरक्षित।
- ब्लूटूथ-सक्षम तकनीक: डॉक्टर दूरस्थ रूप से इसकी निगरानी और समायोजन कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का योगदान
मणिपाल अस्पताल, ढाकुरिया के प्रतिष्ठित हृदय रोग विशेषज्ञों ने इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इनमें शामिल हैं:
- डॉ. पी.के. हाजरा (इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट)
- डॉ. दिलीप कुमार (निदेशक, कार्डियक कैथ लैब)
- डॉ. सुमंत चटर्जी (कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट)
- डॉ. सौम्या कांति दत्ता (इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट)
इन विशेषज्ञों ने बताया कि यह डिवाइस न केवल पारंपरिक पेसमेकर के मुकाबले अधिक सुरक्षित और कुशल है, बल्कि यह उन मरीजों के लिए भी उपयोगी है जिन्हें पारंपरिक पेसमेकर प्रत्यारोपण के लिए अनुपयुक्त माना जाता था।
पेसमेकर के लाभ
- सर्जिकल जटिलताओं से राहत: पारंपरिक पेसमेकर के लिए छाती में डिवाइस और तारों (लीड्स) को लगाने की आवश्यकता होती है, जिससे संक्रमण और जटिलताओं का खतरा रहता है।
- न्यूनतम आक्रामकता: वायरलेस पेसमेकर को सीधे हृदय में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे संक्रमण और सर्जरी के निशानों की संभावना खत्म हो जाती है।
- आदर्श विकल्प: यह डिवाइस बुजुर्ग मरीजों, डायलिसिस पर निर्भर रोगियों, त्वचा समस्याओं वाले मरीजों और रक्त पतला करने वाली दवाइयों पर चल रहे रोगियों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है।
भारत में हृदय चिकित्सा के लिए नई दिशा
भारत अब यूएसएफडीए और यूरोपीय चिकित्सा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित इस वायरलेस पेसमेकर को अपनाने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक देश में हृदय देखभाल को अधिक सुरक्षित, प्रभावी और किफायती बनाएगी।
डॉ. दिलीप कुमार ने कहा: “पहले वायरलेस पेसमेकर केवल वेंट्रिकल्स को पेस कर सकते थे, लेकिन अब यह डिवाइस एट्रियम और वेंट्रिकल दोनों को पेस कर सकता है। यह न केवल एक तकनीकी प्रगति है, बल्कि मरीजों की देखभाल में एक क्रांति है।”
मणिपाल हॉस्पिटल्स की प्रतिबद्धता
मणिपाल अस्पताल, ढाकुरिया के यूनिट हेड श्री राजेश पारीख ने कहा:
“हम अपने मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एआई-संचालित पेसमेकर का सफल प्रत्यारोपण हमारी इसी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
जर्नल ऑफ कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 40,000 पेसमेकर सर्जरी होती हैं। ऐसे में यह उन्नत पेसमेकर उन हजारों मरीजों के लिए एक नई आशा है, जिन्हें लंबे समय तक चलने वाले और सुरक्षित विकल्प की आवश्यकता है।
उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम
मणिपाल हॉस्पिटल्स का यह कदम भारत में हृदय चिकित्सा में क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक है। एआई-संचालित वायरलेस पेसमेकर न केवल मरीजों को एक बेहतर जीवन प्रदान करेगा, बल्कि देश में चिकित्सा नवाचार को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।