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एनएमडीसी का 2030 तक 100 एमटी उत्पादन क्षमता हासिल करने के लक्ष्य के साथ

एनएमडीसी ने FY’25 में स्लरी पाइपलाइन और नए प्रोसेसिंग प्लांट्स की स्थापना के लिए ₹2,200 करोड़ का कैपेक्स निर्धारित किया

नई दिल्ली : एनएमडीसी लिमिटेड, भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक और नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम, FY’25 में स्लरी पाइपलाइन और नए प्रोसेसिंग प्लांट्स की स्थापना के लिए ₹2,200 करोड़ का निवेश कर रहा है। यह निवेश कंपनी की उत्पादन क्षमता को 2030 तक 100 एमटी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखता है। यह महत्वाकांक्षी विस्तार एनएमडीसी के बुनियादी ढांचे और संचालन को काफी बेहतर बनाएगा, जिससे इसकी वैश्विक स्थिति मजबूत होगी और भारत के औद्योगिक विकास की दिशा में योगदान मिलेगा।

श्री अमिताभ मुखर्जी, सीएमडी (अतिरिक्त प्रभार), एनएमडीसी ने 2030 तक 45 एमएनटी से 100 एमएनटी तक के परिवर्तन को महत्वाकांक्षी पर स्थिरता और नवोन्मेष में निहित बताया । उन्होंने सुस्थिर विकास के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा “हमारा रोडमैप सिर्फ उत्पादन वृद्धि करना नहीं है, बल्कि यह पूर्ण उत्तरदायित्व के साथ करना है । हम हमारे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और जिन समुदायों की हम सेवा करते हैं उन्हें  सकारात्मक योगदान देने के लिए समर्पित हैं”।          

रणनीतिक निवेश और विस्तार

एनएमडीसी का विस्तार द्रुत औद्योगिकीकरण की वजह से लौह अयस्क की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग में वृद्धि से प्रेरित है । कंपनी की रणनीतिक निवेश योजना का केंद्र बिन्दु उत्पादन क्षमता में वृद्धि और निकासी के बुनियादी ढांचे में वृद्धि करना है ।  मुख्य पहलों में आधुनिक स्लरी पाइपलाइन का विकास, पेलेट और बेनिफिशिएसन प्लांट और स्टाकयार्ड का मजबूत नेटवर्क शामिल है ।

इस योजना में बचेली से नगरनार तक 135 किलोमीटर स्लरी पाइपलाइन का निर्माण एक फ्लैगशिप परियोजना है । इस पर्यावरण हितैषी, लागत प्रभावी पाइपलाइन से पारम्परिक, कार्बन-सघन परिवहन विधियों पर निर्भरता कम होगी । साथ ही, किरंदुल में नए स्क्रीनिंग प्लांट III और डोनिमलाई स्क्रीनिंग प्लांट II से एनएमडीसी की प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे कि कंपनी उच्च गुणवत्ता मानकों को बनाए रखते हुए उत्पादन मात्रा में वृद्धि करने में सक्षम होगा ।

एनएमडीसी केके लाइन की क्षमता को 28 एमटीपीए से बढ़ाकर 40 एमटीपीए करने, 15 एमटीपीए स्लरी पाइपलाइन बिछाकर और ब्लेन्डिंग यार्ड के निर्माण द्वारा रेल परिवहन का भी विस्तार कर रहा है । लौह अयस्क संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए कंपनी बचेली में 4 एमटीपीए बेनिफ़िशिएसन प्लांट और नगरनार मे 2 एमटीपीए पेलेट प्लांट का विकास कर रहा है और पेलेट प्लांट को 6 एमटीपीए तक विस्तारित करने की योजना है । टेलिंग्स और स्लाइम्स का कुशलतापूर्वक उपयोग कर एनएमडीसी निम्न श्रेणी के अयस्क को उच्च श्रेणी के अयस्क के साथ सम्मिश्रण पर फोकस कर रहा है । अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क से सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करते हुए इसके अनुसंधान एवं विकास केंद्र में पायलट-स्तर के बेनिफ़िशिएसन परीक्षण सुविधा निम्न श्रेणी के अयस्क को अपग्रेड करने की प्रक्रिया का विकास कर रही है ।

कंपनी 11 बी में अभी फ्लीट प्रबंधन प्रणाली (एफएमएस) का परिचालन कर रहा है और निकट भविष्य में इस प्रौद्योगिकी को अन्य एनएमडीसी खानों में विस्तारित किए जाने की योजना है । साथ ही, खान परिवहन निगरानी प्रणाली (एमटीएसएस) का उपयोग कुमारस्वामी, दोणिमलै और पेलेट प्लांट में किया जा रहा है । दक्षता और परिचालन लचीलेपन को बढ़ाने के लिए किरंदुल परियोजना में रैपिड वैगन लोडिंग प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है ।

इस रणनीतिक प्रयास में महत्वपूर्ण पूंजीगत व्यय की आवश्यकता होगी, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 25 में रू.2,200 करोड़ से अधिक आवंटित किया गया है । यह निवेश प्राथमिक रूप से स्लरी पाइपलाइन और नए प्रसंस्करण संयंत्रों पर फोकस करेगा, जो कि दक्षता बढ़ाने, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और एनएमडीसी की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है ।   

विकास चालक के रूप में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन

एनएमडीसी का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन इसकी विकास रणनीति से अभिन्न है । कंपनी ने रियल टाइम उत्पादन डाटा के लिए बेल्ट स्केल को एससीएडीए और ईआरपी के साथ एकीकृत किया है, जिससे दक्षता और परिचालन पारदर्शिता में सुधार हुआ है । सैप एस/4 हाना आधारित ईआरपी प्रणाली, जो कि जनवरी 2021 में कार्यान्वित हुई, उत्पादन, बिक्री और एचआर कार्यों को एकीकृत करती है ।

अतिरिक्त डिजिटल पहलों में शामिल हैं ऑनलाइन सतर्कता पोर्टल, ग्राहक पोर्टल (दर्पण), पूर्व-कर्मचारियों के लिए पोर्टल, आपूर्तिकर्ता संबंध प्रबंधन और डिजिटल इन्वाइसिंग । एनएमडीसी ऑटोमैटिक सैम्पल कलेक्शन एंड एनलिसिस , सैप लर्निंग सॉल्यूशन्स, एचआरडी डैशबोर्ड, सीसीटीवी निगरानी और एआई/मशीन लर्निंग प्रौद्योगिकियों के साथ भी आगे की ओर अग्रसर हो रहा है ।      

राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखण 

एनएमडीसी का रणनीतिक रोडमैप भारत के इस्पात और खनन क्षेत्र में नेतृत्व के दृष्टिकोण के साथ संरेखित होता है । कंपनी की खनन एवं धातुकर्म में विस्तार योजना आयात निर्भरता में कमी और आत्मनिर्भरता के लिए सरकार की पहल का समर्थन करती है । एनएमडीसी वित्तवर्ष 24 में 45 एमएनटी से वित्तवर्ष 25 में 50 एमएनटी उत्पादन वृद्धि का लक्ष्य रखती है, जो कि 2030-31 तक 100 एमएनटी उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करेगा, जिससे इसकी घरेलू लौह अयस्क बाजार में उपस्थित हिस्सेदारी 20% से 25% तक बढ़ जाएगी ।

भविष्यकेंद्रित दृष्टिकोण  

आगे की ओर उन्मुख होते हुए एनएमडीसी वित्तीय वर्ष26 तक अपने 8 एमएनटी कोकिंग कोल ब्लॉक में उत्पादन शुरू करने की तैयारी कर रहा है । इस कदम का उद्देश्य कोकिंग कोल आयात पर भारत की निर्भरता को कम करना है । एनएमडीसी अपनी सहायक कंपनी लेगेसी इंडिया आयरन ओर लिमिटेड के माध्यम से लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के लिए    विदेशों में खनन अवसरों का भी पता लगा रही है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया में लिथियम खनन परिचालन भी शामिल है ।

साथ ही, एनएमडीसी ने यूएनएफसीसीसी के साथ 10.5 एमडब्ल्यू पवनचक्की परियोजना पंजीकृत की है और वनीकरण प्रयासों के तहत लगभग 3 मिलियन पेड़ लगाए हैं । कंपनी ने इस्पात क्लस्टरों के नजदीक स्टॉकपाइल बनाने के माध्यम से ग्राहकों की आवश्यकताओं पर भी फोकस किया है और लौह अयस्क, बॉक्साइट, मैंगनीस, हीरे और स्वर्ण के लिए नए अवसरों का संधान कर रही है, जिनके वित्तवर्ष 2030 से आगे भविष्य में संचालन की योजना है ।

एनएमडीसी का 2030 तक 100 एमएनटी का लक्ष्य भारतीय खनन क्षेत्र के भविष्य हेतु एक साहसिक दृष्टिकोण है । नवोन्मेष, सुस्थिरता और परिचालन उत्कृष्टता के एकीकरण से एनएमडीसी का वैश्विक खनन क्षेत्र का नेतृत्व करने और भारत में महत्वपूर्ण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का लक्ष्य है ।

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