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Shahi Exports: भारत की परिधान सफलता की कहानी, FED की नई केस स्टडी में उजागर

15 महिलाओं से शुरू हुई कंपनी बनी 1 लाख लोगों की रोज़ी-रोटी का साधन | महिलाओं को दिया नया भविष्य | भारत को दिलाया वैश्विक परिधान बाजार में सम्मान

नई दिल्ली : भारत के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में परिधान उद्योग की भूमिका को लेकर एक अहम दस्तावेज सामने आया है। फाउंडेशन फॉर इकोनॉमिक डेवलपमेंट (FED) ने अपनी नवीनतम केस स्टडी में भारत की अग्रणी परिधान निर्माता और निर्यातक कंपनी Shahi Exports की सफलता गाथा को विस्तार से प्रस्तुत किया है। इस केस स्टडी का शीर्षक है — “Stitching India’s Manufacturing Success Story”

इस अध्ययन के माध्यम से FED ने न केवल Shahi Exports की शानदार यात्रा को रेखांकित किया है, बल्कि यह भी बताया है कि भारत को वैश्विक परिधान उद्योग में और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए किन नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है।


Shahi Exports की कहानी: 1974 में ₹5,000 से हुई शुरुआत

Shahi Exports की स्थापना 1974 में सरला आहूजा ने दिल्ली के रंजीत नगर में एक छोटे से गारमेंट यूनिट के रूप में की थी। उस समय उनके पास केवल ₹5,000 का निवेश और 15 महिलाओं की टीम थी। उनका लक्ष्य था — महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और भारत में गुणवत्तापूर्ण परिधान निर्माण को बढ़ावा देना।

समय के साथ, इस छोटे से प्रयास ने एक विशाल रूप ले लिया। आज Shahi Exports भारत की सबसे बड़ी परिधान निर्माता और निर्यातक कंपनी है, जिसकी 50 से अधिक निर्माण इकाइयाँ देश के 8 राज्यों में फैली हुई हैं। कंपनी में लगभग 1 लाख लोग कार्यरत हैं, जिनमें 70% महिलाएँ हैं — जो इसे न केवल एक आर्थिक बल्कि सामाजिक क्रांति का केंद्र भी बनाता है।


महत्वपूर्ण निष्कर्ष: सफलता के पीछे की रणनीति

FED की केस स्टडी में Shahi Exports की सफलता के पीछे कई प्रमुख तत्वों की पहचान की गई है, जिनमें शामिल हैं:

  • पेशेवर और सशक्त नेतृत्व
  • डेटा-आधारित निर्णय प्रणाली
  • वर्टिकली इंटीग्रेटेड संचालन मॉडल
  • नैतिक श्रम नीति और पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता

Shahi ने उत्पादन, निर्यात और कार्यबल प्रबंधन के हर चरण में नवाचार और स्थिरता को प्राथमिकता दी है। यही वजह है कि आज यह कंपनी यूरोप और अमेरिका जैसे बाज़ारों में भारत के परिधानों की एक मजबूत पहचान बन चुकी है।


भारत में Shahi जैसे और संस्थान क्यों नहीं?

यह अध्ययन इस सवाल को भी उठाता है कि भारत, जो श्रमबल और कच्चे माल के मामले में समृद्ध है, फिर भी Shahi Exports जैसी अन्य बड़ी परिधान कंपनियों को क्यों नहीं गढ़ पाया। FED के अनुसार, इसके पीछे प्रमुख बाधाएँ हैं:

  • जटिल नियामकीय प्रक्रियाएं
  • बुनियादी ढांचे की कमी
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से सीमित जुड़ाव
  • व्यवसाय प्रारंभ और संचालन में कठिनाइयाँ

इन चुनौतियों से निपटने के लिए FED ने सरकारों से आग्रह किया है कि वे व्यवसाय करने की सुगमता बढ़ाएँ, औद्योगिक अवसंरचना को सुदृढ़ करें, और वैश्विक बाज़ारों में भारत की भागीदारी को बढ़ाएँ।


तीन प्रमुख उद्देश्य जो केस स्टडी में रेखांकित हुए:

  1. Shahi Exports की सफलता के कारकों का विश्लेषण
  2. भारत की परिधान उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में कमी की वजहें
  3. ऐसी नीति और उद्योग सिफारिशें जो भारत के विनिर्माण क्षेत्र को अगले स्तर पर ले जाएँ

FED निदेशक का वक्तव्य: भारत के लिए सुनहरा अवसर

FED के निदेशक राहुल आहलूवालिया ने इस अवसर पर कहा,

“भारत के पास वैश्विक परिधान निर्माण का नेतृत्व करने का एक अनोखा अवसर है। लेकिन इसके लिए हमें अपने दीर्घकालिक नियामक और संरचनात्मक अवरोधों को हटाना होगा। Shahi Exports ने जो मानक स्थापित किए हैं, वे हमें दिखाते हैं कि यह संभव है — बशर्ते नीति, प्रबंधन और दृष्टिकोण सही हो।”


Shahi Exports: नारी शक्ति का प्रतीक

Shahi Exports की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है — 70% महिला वर्कफोर्स। कंपनी ग्रामीण और शहरी भारत की लाखों महिलाओं को न केवल रोज़गार देती है, बल्कि उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता, सम्मान और आत्मविश्वास भी प्रदान करती है। यह संस्था सिर्फ परिधान नहीं बनाती — यह सपने सिलती है।


FED और Shahi Exports के बारे में:

Foundation for Economic Development (FED):
FED एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य भारत में 10% से अधिक की स्थायी आर्थिक विकास दर हासिल करना है। यह संगठन केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर रणनीतिक सुधारों को लागू करने के लिए काम करता है।

Shahi Exports:
Shahi भारत की सबसे बड़ी परिधान निर्माता और निर्यातक कंपनी है। इसके 50 से अधिक निर्माण इकाइयाँ, सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग मॉडल और विविध उत्पाद श्रृंखला ने इसे विश्व के प्रमुख फैशन ब्रांड्स का पसंदीदा साझेदार बना दिया है।


Shahi Exports की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर नीति, नेतृत्व और उद्देश्य में समन्वय हो, तो भारत के परिधान उद्योग को न केवल वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे लाया जा सकता है, बल्कि लाखों लोगों को सम्मानजनक जीवन भी दिया जा सकता है।

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