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Homeव्यापारवेदांता एल्यूमिनियम ने बॉक्साइट शोधन की नई प्रक्रिया को कराया पेटेंट

वेदांता एल्यूमिनियम ने बॉक्साइट शोधन की नई प्रक्रिया को कराया पेटेंट

भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक वेदांता एल्यूमिनियम ने एक अभिनव प्रक्रिया विकसित करने की घोषणा की है जिसके द्वारा बॉक्साइट अवशेष घटाने में बहुत मदद मिलेगी। बाॅक्साइट अवषेष को आम बोलचाल में रेड मड कहा जाता है। यह एल्यूमिना रिफाइनिंग प्रक्रिया से निकलती है। नई विकसित प्रक्रिया बॉक्साइट अवशेष को 30 प्रतिशत के प्रभावषाली आंकड़े तक घटा देती है। इसके तहत आयरन की मात्रा को निकाल दिया जाता है व साथ ही उच्च एल्यूमिना यील्ड हासिल किया जाता है। नतीजतन एल्यूमिना रिफाइनिंग के दौरान बॉक्साइट से टोटल ऑर्गेनिक कॉन्टेंट को घटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया से संसाधन दक्षता बढ़ जाती है और रिफाइनिंग के दौरान ऊर्जा की खपत कम होती है। यह अनुसंधान परियोजना कंपनी के अनुसंधान एवं विकास विभाग ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर के मेटलर्जिकल व मैटेरियल्स इंजीनियरिंग विभाग के सहयोग से संपन्न की है। इसमें लांजीगढ़, ओडिशा इकाई का विशेष योगदान रहा जहां वेदांता की विश्व स्तरीय एल्यूमिना रिफाइनरी है। यह अत्याधुनिक विकास कार्य कंपनी की प्रचालन उत्कृष्टता में वृद्धि करेगा तथा वैश्विक एल्यूमिनियम उद्योग पर इसका सतत प्रभाव होगा।

एल्यूमिनियम के लिए बॉक्साइट प्रमुख अयस्क है। इसकी रिफाइनिंग प्रक्रिया को बेयर प्रोसेस कहते हैं जिससे एल्यूमिना उत्पादित होता है। एल्यूमिना के इलेक्ट्रोलाइसिस से एल्यूमिनियम बनता है। इस रिफाइनिंग प्रक्रिया में बॉक्साइट अवशेष बतौर सह उत्पाद निकलता है। 1 किलोग्राम एल्यूमिनियम बनाने के लिए 2 किलोग्राम एल्यूमिना की आवष्यकता होती है। एल्यूमिना की यह मात्रा बनाने के लिए 6 किलोग्राम बॉक्साइट की खपत होती है। प्रक्रिया के दौरान 4 किलोग्राम बॉक्साइट अवशेष रह जाता है। इतनी बड़ी मात्रा में इस सह उत्पाद का सतत तरीके से प्रबंधन लंबे समय से एल्यूमिनियम उद्योग की बड़ी चुनौती है। वेदांता एल्यूमिनियम रेड मड को न्यूनतम करने के लिए सक्रियता से नवाचार में संलग्न है तथा इससे और ज्यादा एल्यूमिनियम हासिल करने के रास्ते तलाश रही है। कंपनी द्वारा विकसित नई क्रांतिकारी प्रक्रिया को प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक मान्य कर पेटेंट कराया गया है। वर्तमान में कंपनी एक पायलट संयंत्र स्थापित करने पर ध्यान दे रही है जहां इस प्रक्रिया को लागू व इसका मूल्यांकन किया जाएगा साथ ही इसके संभावित फायदों का निर्धारण भी होगा।

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