Tuesday, December 10, 2024
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Homeक्राइमनशे के कारोबार में लिप्त 7,886 आरोपी धराए, करोड़ों की संपत्ति जब्त

नशे के कारोबार में लिप्त 7,886 आरोपी धराए, करोड़ों की संपत्ति जब्त

नशे के कारोबार में लिप्त 7,886 आरोपी धराए, करोड़ों की संपत्ति जब्त

भोपाल : मध्यप्रदेश पुलिस की अवैध मादक पदार्थों के व्यापार के विरुद्ध निरंतर कार्रवाई जारी है। जनवरी 2023- से अभी तक विगत 2 साल में देखा जाए तो राज्य में 6161 प्रकरणों में अवैध मादक पदार्थ के व्यापार में संलिप्त 7886 अपराधियों की गिरफ्तारी की गई है। अपराधियों द्वारा अवैध तरीके से अर्जित संपत्तियों के मामले में पूरे प्रदेश में 29 अपराधियों के विरुद्ध 115 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त किया गया।

इस प्रावधान के अन्तर्गत सर्वाधिक कार्रवाई मंदसौर एवं नीमच में की गई, जहां के 23 कुख्यात अपराधियों की संपत्ती फ्रीज की गई है। इन अपराधियों में नाहरगढ़ के धनराज उर्फ धन्ना पिता ओमप्रकाश पटीदार की 14 करोड़ से अधिक की संपत्ति, नारायणगढ़ के श्याम पिता भंवर सिंह की 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति, मनसा के पीयूष पिता पीरू बंजारा की 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति, सीतामाउ के अशोक पिता मांगीलाल पाटीदार की 8 करोड़ से अधिक की संपत्ति तथा अफजलपुर के ताहिर पिता शफी मोहम्मद की 3 करोड़ से अधिक की संपत्ति को फ्रीज किया गया है।

नशा कारोबारियों को ध्वस्त करने के आदेश

अवैध मादक पदार्थों के पंजीबद्ध प्रकरणों में पुलिस महानिदेशक द्वारा निर्देशित किया गया है कि अत्यधिक मात्रा में जब्त अवैध मादक पदार्थ के टॉप टू बॉटम तथा कम मात्रा में जब्त किए गए अवैध मादक पदार्थ के बॉटम टू टॉप की तस्करी में सम्मलित पाए गए आरोपियों के लिंक और नेटवर्क को ट्रैक कर, मूवमेंट की जानकारी एकत्र कर उनके गठजोड़ का पता लगाकर उनको नष्ट करना है। इस नेटवर्क में शामिल आरोपियों एवं उनसे जुड़े अन्य बिचौलियों की चल, अचल संपत्ति की जानकारी एकत्र कर इनके वित्तीय लेन- देन के संबंध में डाटा का एकत्रित करने का भी आदेश दिया गया है। डीजीपी ने एनसीओआरडी पोर्टल पर गिरफ्तार किए गए सभी संदिग्ध की जानकारी अपडेट करने के लिए भी आदेश दिए हैं।

पीट के तहत सख्त कार्रवाई

पीट यानी अवैध मादक पदार्थ व्यापार की रोकथाम अधिनियम 1988 उन गंभीर नशे का कारोबार करने वाले अपराधियों पर लगाया जाता है, जो लगातार उस अपराध में शामिल पाए जाते हैं। इन अपराधियों को जेल में निरुद्ध किया जाना बेहद जरूरी हो जाता है। यह एक्ट लगने के बाद अपराधी को छह माह तक जमानत नहीं मिल पाती है। इस अधिनियम के अंतर्गत पिछले दो वर्षों में की गई कार्रवाई पूर्व में की गई कार्रवाई से कई गुना अधिक है।

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