भोपाल : मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के 37 वर्षीय किसान मनोज हिंगवे ने पारंपरिक खेती के तौर-तरीकों से आगे बढ़ते हुए ड्रोन तकनीक अपनाई और खेती के क्षेत्र में बदलाव की नई इबारत लिखी। मारुत ड्रोन्स की “ड्रोन एज़ ए सर्विस” (DAAS) पहल ने मनोज और उनके जैसे कई किसानों को न केवल लागत घटाने, बल्कि उत्पादन और दक्षता बढ़ाने में मदद की है।
ड्रोन तकनीक अपनाने से मिली सफलता
मनोज छिंदवाड़ा जिले के पहले किसानों में से एक हैं, जिन्होंने ड्रोन तकनीक अपनाकर संतरा और कपास की खेती को उन्नत बनाया। उन्होंने 11 महीने पहले अपने किसान उत्पादक संगठन (FPO) के सामने इस पहल का विचार रखा। मारुत ड्रोन्स और मध्य प्रदेश सरकार की 75% सब्सिडी के सहयोग से, उन्होंने ड्रोन तकनीक को अपनी खेती में शामिल किया। इसके जरिए मैनुअल स्प्रेइंग की चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया को आसान, तेज़ और किफायती बनाया गया।
मनोज अब “ड्रोन एज़ ए सर्विस” के जरिए आसपास के गांवों के किसानों को ₹400-₹500 प्रति एकड़ के मामूली शुल्क पर उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। वे प्रतिदिन 5-6 एकड़ में कीटनाशक और उर्वरक का छिड़काव कर पाते हैं, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सस्ता और प्रभावी है।
ड्रोन तकनीक की विशेषताएं और फायदे
- किफायती स्प्रेइंग: ट्रैक्टर और मैनुअल श्रम की तुलना में लागत में 50% से अधिक की बचत।
- उच्च दक्षता: 15 फीट ऊंचे संतरे के पेड़ों पर सटीक स्प्रेइंग।
- स्वास्थ्य लाभ: मैनुअल स्प्रेइंग के कारण होने वाली थकावट और त्वचा संक्रमण से राहत।
- पर्यावरणीय स्थिरता: सटीक स्प्रेइंग से उर्वरकों और कीटनाशकों की बर्बादी कम।
ड्रोन तकनीक के उपयोग से लागत में कमी
पारंपरिक स्प्रेइंग | ड्रोन स्प्रेइंग |
---|---|
₹900/घंटा (ट्रैक्टर) + ₹400 (मजदूर/एकड़) = ₹1500-₹1600/एकड़ | ₹400-₹500/एकड़ |
मनोज हिंगवे की प्रेरणादायक यात्रा
मनोज का कहना है, “पारंपरिक स्प्रेइंग न केवल महंगा था, बल्कि शारीरिक रूप से थकाने वाला भी था। ड्रोन के जरिए लागत कम हुई है और काम जल्दी और सटीक होता है। पिछले 11 महीनों में मैंने अपने निवेश को वसूल कर लिया है और अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।”
ड्रोन पायलटों की कमी को देखते हुए, मनोज ने खुद ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण लिया और मारुत ड्रोन्स को उनके विश्वसनीय तकनीकी समर्थन के लिए चुना।
सरकारी पहल और सामुदायिक प्रभाव
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की गई सब्सिडी ने किसानों को ड्रोन तकनीक अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मनोज की इस पहल ने आसपास के किसानों को प्रेरित किया, जिससे तकनीकी नवाचार और सामूहिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला।
मारुत ड्रोन्स के साथ मनोज की साझेदारी ने यह सुनिश्चित किया कि छोटे किसान भी ड्रोन सेवाओं का लाभ उठा सकें, बिना ड्रोन खरीदने के वित्तीय बोझ के।
ड्रोन तकनीक से भविष्य की उम्मीदें
मनोज की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि आधुनिक तकनीक और सरकारी समर्थन के मेल से खेती को और अधिक टिकाऊ और लाभदायक बनाया जा सकता है।
मारुत ड्रोन्स के सहयोग से, मनोज ने न केवल अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाया है, बल्कि अन्य किसानों को भी तकनीकी नवाचार अपनाने के लिए प्रेरित किया है। उनकी यात्रा भारतीय कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक के बदलावकारी प्रभाव का एक शानदार उदाहरण है।