खबर डिजिटल: करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है। यह त्योहार न सिर्फ पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की खुशी के लिए मनाया जाता है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक भी है। हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है, जिसमें महिलाएं दिनभर निर्जला रहकर चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत तोड़ती हैं।
सुबह की शुरुआत: सरगी से मिलती है ऊर्जा
करवा चौथ की सुबह बहुत खास होती है। सास अपनी बहू को ‘सरगी’ देती है, जो व्रत रखने वाली महिला के लिए महत्वपूर्ण भोजन होता है। इसमें फल, मिठाई, मेवे, और पराठे होते हैं, जो दिनभर के व्रत के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं और फिर पूरे दिन बिना पानी के व्रत रखती हैं।
सोलह श्रृंगार: अखंड सौभाग्य का प्रतीक
व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करने का विशेष महत्व होता है। सोलह श्रृंगार यानी बिंदी, चूड़ियाँ, मंगलसूत्र, बिछिया, काजल, सिंदूर आदि का उपयोग कर महिलाएं खुद को सजाती हैं। इसे सौभाग्य और अखंड सुहाग का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ पर महिलाओं का यह रूप न सिर्फ उनकी आस्था को दर्शाता है, बल्कि यह उनके पति के प्रति उनके प्रेम और सम्मान को भी जाहिर करता है।
पूजा की विधि: करवा माता का आशीर्वाद
शाम के समय महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं और करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। पूजा में मिट्टी के करवा, दीया, रोली, अक्षत और मिठाई का उपयोग किया जाता है। इस पूजा के दौरान महिलाएं एक-दूसरे को करवा देकर आशीर्वाद लेती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
चंद्रमा के दर्शन: छलनी से पति को देखना
जब रात में चंद्रमा दिखाई देता है, तब महिलाएं छलनी से चंद्रमा के दर्शन करती हैं और उसे अर्घ्य देती हैं। इसके बाद वे उसी छलनी से अपने पति को देखती हैं और फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं। यह रस्म प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक होती है।
करवा चौथ: रिश्तों की मिठास
करवा चौथ का व्रत न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और गहराई को भी दर्शाता है। यह व्रत उनकी बीच की बॉन्डिंग को और मजबूत बनाता है। इस दिन महिलाएं न केवल अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, बल्कि वे अपने रिश्ते में प्रेम और समझ की मिठास भी बढ़ाती हैं।
करवा चौथ का व्रत उन पलों का प्रतीक है, जो पति-पत्नी के रिश्ते में हमेशा अमिट रहते हैं। यह त्योहार हर साल उनके रिश्ते को नई ऊर्जा और मजबूती देता है, जिसमें प्यार, समर्पण और अखंड विश्वास की भावना निहित होती है।