कटनी / सौरभ श्रीवास्तव के बहोरीबंद विकास खंड के आदिवासी टोला मोहनिया मे बना जर्ज़र स्कूल भवन शिक्षा के अधिकार की हकीकत को उजागर करती एक शर्मनाक तस्वीर बहोरीबंद विकासखंड के आदिवासी टोला मोहनिया से सामने आई है। यहां स्थित शासकीय प्राथमिक शाला की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि बच्चों को जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है छत से प्लास्टर झड़ चुका है, जगह-जगह से लोहे की छड़ें बाहर झाँक रही हैं और किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है। हालात इतने खराब हैं कि अब स्कूल की कक्षाएं एक कच्चे, जर्जर मकान की परछी में संचालित की जा रही हैं।मुख्य समस्याएं:भवन की छत बेहद कमजोर, छड़ें बाहरदीवारों में दरारें, लगातार गिर रहा मलबाबारिश के दिनों में हालात और भी खतरनाकबच्चों के जीवन पर मंडरा रहा है गंभीर खतराग्रामीणों का आरोप है कि शासन और प्रशासन को इस हालात की जानकारी कई बार दी जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, जनप्रतिनिधियों ने भी केवल आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया।क्या आदिवासी बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं?यह सवाल अब यहां के अभिभावकों के साथ-साथ समाजसेवियों और जागरूक संगठनों द्वारा उठाया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के स्कूल विज़िट अभियान के तहत इस मामले को सामने लाया गया है। पार्टी ने कहा है कि यह सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि तंत्र की विफलता का प्रतीक है।आम आदमी पार्टी का कहना है:”शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है – चाहे वह शहर में हो या किसी आदिवासी टोले में। अब हम चुप नहीं बैठेंगे, और जब तक हर बच्चे को सुरक्षित व सम्मानजनक शिक्षा नहीं मिलती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।”