चेन्नई: जलवायु संकट के समाधान की दिशा में भारत से एक बड़ी खबर सामने आई है। हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (HITS), चेन्नई के केमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर इंद्रजीत शॉन ने नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक ऐसी उन्नत तकनीक विकसित की है, जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को सूरज की रोशनी की मदद से नवीकरणीय ईंधन में परिवर्तित करती है। यह शोध दुनिया के प्रतिष्ठित जर्नल Nano Energy में प्रकाशित हुआ है।
200 गुना अधिक प्रभावी बना यह फोटोकैटलिटिक सिस्टम
प्रो. शॉन और ताइवान की डॉ. ली-चियोंग चेन की टीम ने मिलकर ZnS/ZnIn₂S₄ (ZIS) आधारित एक नया फोटोकैटलिस्ट विकसित किया है, जो CO₂ को एसीटैल्डिहाइड (C₂H₄O) जैसे उपयोगी हाइड्रोकार्बनों में बदल देता है। यह प्रक्रिया 200 गुना अधिक क्वांटम एफिशिएंसी के साथ काम करती है, जो पहले की तकनीकों की तुलना में एक बड़ी छलांग है।
इस सिस्टम की खास बात यह है कि यह दृश्यमान प्रकाश (सूरज की साधारण रोशनी) में भी काम करता है और जटिल रिएक्टर की आवश्यकता नहीं होती। यह पूरी प्रक्रिया एकल-पात्र (single-pot) हाइड्रोथर्मल तकनीक से संभव हुई है, जिसमें स्ट्रेन-प्रेरित डायरेक्ट Z-स्कीम मैकेनिज्म अपनाया गया।
CO₂ को ईंधन में बदलने की राह अब साफ
प्रोफेसर शॉन ने कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ प्रयोगशाला में खोज तक सीमित नहीं है, बल्कि असली दुनिया में जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए व्यावहारिक समाधान देना है।”
इस तकनीक से प्राप्त नतीजों को आइसोटोप-लेबल्ड ¹³CO₂ परीक्षणों द्वारा प्रमाणित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि उत्पन्न हाइड्रोकार्बन सीधे CO₂ से बने हैं, न कि किसी अन्य स्रोत से।
SDGs की दिशा में बड़ी उपलब्धि
यह शोध संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों — विशेष रूप से SDG 7 (स्वच्छ ऊर्जा), SDG 9 (उद्योग व नवाचार), SDG 12 (जिम्मेदार उत्पादन) और SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) — में सीधा योगदान देता है।
संस्थान ने जताया गर्व, भविष्य की योजनाएं भी तय
HITS के वाइस चांसलर, कर्नल (मानद) डॉ. एस.एन. श्रीधर ने इस उपलब्धि को “वैज्ञानिक नवाचार का बेहतरीन उदाहरण” बताते हुए कहा, “प्रोफेसर शॉन का यह शोध दिखाता है कि कैसे विज्ञान, नैनो तकनीक और वैश्विक सहयोग मिलकर पृथ्वी की सबसे गंभीर समस्याओं का हल ढूंढ सकते हैं।”
अब यह शोध टीम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से और भी बेहतर फोटोकैटलिस्ट तैयार करने में जुटी है, जिससे भविष्य में बड़े स्तर पर स्वच्छ ईंधन उत्पादन संभव हो सकेगा।
HITS और ताइवान यूनिवर्सिटी की यह साझेदारी दिखाती है कि जब विज्ञान और सहयोग साथ आते हैं, तो CO₂ जैसी चुनौती भी समाधान में बदल सकती है। यह तकनीक भविष्य में ऊर्जा के स्वरूप को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती है।


