खबर डिजिटल/ अमेठी: शिक्षा विभाग ने आगामी सत्र से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनवाने की जिम्मेदारी विद्यालय के प्रधानाचार्यों को दी है। इस आदेश से शिक्षकों और प्रधानाचार्यों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। उनका कहना है कि शिक्षण के अतिरिक्त अन्य कार्यों का बोझ शिक्षकों पर डालना अनुचित है और इससे उनकी मूल जिम्मेदारी प्रभावित हो रही है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) संजय कुमार तिवारी ने बताया कि विद्यालय में प्रवेश लेने वाले बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बनवाना आवश्यक होगा और इसे पोर्टल पर भी अपलोड किया जाना है। लेकिन उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष अशोक मिश्र ने इस आदेश की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि शिक्षणेत्तर कार्यों में शिक्षकों को उलझाने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। ऐसे में बाद में शिक्षकों पर ही शिक्षा कमजोर होने का आरोप लगाया जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह के आदेश का संघ द्वारा विरोध किया जाएगा।
शाहगढ़ विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय अफुइया के प्रधानाचार्य शशांक शुक्ल ने कहा कि जन्म प्रमाणपत्र बनवाने का कार्य ग्राम पंचायत, राजस्व विभाग, या नगर निकाय के माध्यम से किया जाना चाहिए। लेकिन हर प्रकार की जिम्मेदारी शिक्षकों पर डालना अनुचित है। प्राथमिक शिक्षक संघ गौरीगंज के अध्यक्ष और प्राथमिक विद्यालय सोंगरा के प्रभारी प्रधानाचार्य गंगाधर शुक्ल ने भी इसे अनुचित बताते हुए कहा कि जन्म प्रमाणपत्र बनवाने का काम शिक्षकों से कराना सही नहीं है।
शिक्षकों का मानना है कि इस तरह के अतिरिक्त कार्य उन्हें शिक्षण से भटका रहे हैं और इससे पूरी शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है।