पटना/सुनील बंशीवाल/खबर डिजिटल/ राजनीति में कहा जाता है कि परिवारवाद कभी समाप्त नहीं होगा, इसकी झलक बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के गठन में साफ दिखाई दे गई। इसमें दीपक प्रकाश और संतोष कुमार सुमन जैसे विधायकों को मंत्री बनाया है, जो परिवारवाद की सियासी पृष्ठभूमि को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
10वीं बार नीतीश कुमार ने ली शपथ
नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली है, उनके साथ 26 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसमें कास्ट फैक्टर का पूरा ध्यान रखा गया है, जिसमें सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा जैसे वरिष्ठ मंत्री शामिल है, लेकिन उनका मंत्रिमंडल परिवारवार से नहीं बच पाया, हालांकि नीतीश कुमार ने अपने बेटे निशांत कुमार को लॉन्च नहीं किया, जबकि कई वरिष्ठ नेता इसके पक्ष में दिखाई दे रहे थे।
विपक्ष को दिया घेरने का मु्द्दा
चुनाव के समय राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को परिवारवाद के नाम पर एनडीए के नेता घेर रहे थे, बिहार दौरे में मोदी ने बीजेपी नेताओं से साफ शब्दों में कहा था, ‘राजनीति में परिवारवाद नहीं होना चाहिए, जमींदारी प्रथा नहीं होनी चाहिए, ऐसा न हो कि आप नहीं तो हमारे पुत्र-पुत्री, ये नहीं होना चाहिए।’ 6 महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में भी परिवारवाद की राजनीति का मुद्दा उठाया था, और, बीजेपी नेताओं को विशेष रूप से नसीहत दी थी कि जमींदारी प्रथा खत्म होनी चाहिए, और राजनीति में परिवारवाद की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए, हालांकि अब नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद विपक्ष को भी घेरने का मुद्दा मिल गया है।
नीतीश कैबिनेट में परिवारवाद
नीतीश कुमार की सरकार में 29 विधायक ऐसे हैं जिनकी पृष्ठभूमि परिवारवाद की राजनीति से जुड़ी है। जिस तरह से चुनाव वक्त राष्ट्रीय लोक मोर्चा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पत्नी स्नेहलता को विधानसभा चुनाव का टिकट दे दिया था, वहीं मंत्री बनाने की बारी आने पर बेटे को आगे कर दिया, जोकि विधायक तक नहीं है, हालांकि अब माना जा रहा है कि विधान परिषद की एक सीट उपेंद्र कुशवाह ने पहले ही अपने बेटे के लिए रिजर्व कर ली है। बात करें परिवारवाद तो बांकीपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए नितिन नवीन भी नीतीश मंत्रिमंडल का हिस्सा बने हैं, जोकि भाजपा के वरिष्ठ नेता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा के बेटे हैं। इसी तरह जमुई से विधायक श्रेयशी सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी हैं। बीजेपी में चुनाव के वक्त वापसी करने वाले मुजफ्फरपुर के सांसद रहे अजय निषाद ने अपनी पत्नी रमा निषाद को टिकट दिलाया था, जोकि विधायक बनने के बाद अब मंत्री भी बन गई है। बात करें जीतनराम मांझी को तो उनके तो सारे टिकट ही परिवारवाद की भेंट चढ़ गए थे, मांझी की बहू, समधन और दामाद सभी विधायक बन गए हैं, ऐसे में जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन फिर से बिहार कैबिनेट का हिस्सा है।
वहीं सम्राट चौधरी, नीतीश मिश्रा जैसे बड़े चेहरे भी परिवारवाद की ही राजनीति से आए हैं। जेडीयू के रुख की कहें तो अनंत सिंह, ऋतुराज कुमार और चेतन आनंद जैसे बड़े नाम परिवारवाद की पृष्ठभूमि वाले हैं।


