जंगल में बिना पेड़ काटे बना वेलनेस सेंटर और दीवारों में सुराख कर तैयार हुए पर्यावरण अनुकूल घर रहे आकर्षण का केंद्र
भोपाल — मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल ने देश के पहले कार्बन-न्यूट्रल आर्किटेक्चर सम्मेलन IIA नैटकॉन 2025 की भव्य मेजबानी कर एक नई इबारत लिखी। मिंटो हॉल में आयोजित इस ऐतिहासिक सम्मेलन में भारत सहित 15 देशों के 1500 से अधिक वास्तुविद, डिज़ाइन विशेषज्ञ और शहरी योजनाकार शामिल हुए। यह आयोजन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (IIA) के मध्यप्रदेश चैप्टर द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रेरणादायक संबोधन से हुई, जिसमें उन्होंने शहरी विकास में स्थायित्व, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय सांस्कृतिक विरासत के समन्वय की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इस अवसर पर सम्मेलन का विषय “ट्रांसम” भी लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य परंपरा और प्रगति के बीच एक सेतु स्थापित करना है।
सम्मेलन में प्रस्तुत मॉडल्स ने सभी को प्रभावित किया। श्रीलंका के आर्किटेक्ट पलिंदा कन्ननगारा ने जंगल के बीच बिना एक भी पेड़ काटे तैयार किया गया वेलनेस सेंटर पेश किया। यह संरचना पर्यावरण की रक्षा करते हुए आर्किटेक्चर का नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। दीवारों में छोटे-छोटे सुराख कर प्राकृतिक रोशनी और हवा को भीतर लाने की तकनीक भी साझा की गई, जिससे न केवल ऊर्जा की बचत होती है, बल्कि घर अंदर से ठंडा और स्वास्थ्यवर्धक रहता है।
आर्किटेक्ट संगीता बैस, जिन्होंने ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वे राजा महल, पालकी महल, बाज़ार बाग और फूल बाग के संरक्षण कार्य में लगी हैं। इन सभी बागों की पुनर्संरचना स्थानीय परंपराओं और ऐतिहासिक तकनीकों के अनुसार की जा रही है। रामराजा मंदिर के सामने ऐतिहासिक विरासत स्थल, राजमहल, स्थानीय आंगन शैली, और पारंपरिक जलनिकासी व्यवस्था को सहेजते हुए, उन्होंने हर स्थान की विशिष्ट शैली में डिज़ाइन प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, “इन सभी विरासतों को शीतलता के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है। एक बाग ऐसा भी है जहां कोई स्ट्रेट लाइन नहीं है, जिससे अलग-अलग अनुभव प्राप्त होते हैं।”
कैलिफोर्निया से आये आर्किटेक्ट हसन रगाब ने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और डिज़ाइनिंग के क्षेत्र में हो रहे क्रांतिकारी बदलावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस तरह AI अब सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि क्रिएटिविटी को भी दिशा दे रही है। उन्होंने सस्टेनेबल डिज़ाइन में प्रारंभिक निवेश की ज़रूरत और इसके दीर्घकालीन लाभों पर जोर दिया।
सम्मेलन में ‘सेलेब्रेटिंग एक्सीलेंस’ नामक सम्मान समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें वास्तुकला क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. निधिपति सिंघानिया और श्री प्रदीप कुमार को IIA मानद फेलोशिप से सम्मानित किया गया। वहीं, आर्किटेक्ट सी.एन. राघवेंद्रन को बाबूराव म्हात्रे स्वर्ण पदक और प्रो. रणजीत टी. घोगले को माधव आचवल स्वर्ण पदक से नवाज़ा गया।
तकनीकी सत्रों में डिज़ाइन विशेषज्ञों ने विरासत, संस्कृति और भविष्य के शहरों पर अपने विचार साझा किए। आर्किटेक्ट संगीता बैस और सुमेश मोदी ने सांस्कृतिक विरासत आधारित डिज़ाइन पर और लॉरेंस वोंग ने मानव-केंद्रित भविष्य के शहरों की कल्पना पर विशेष सत्र लिए।
दिन का समापन मिंटो हॉल के लॉन में आयोजित सांस्कृतिक संध्या और गाला डिनर के साथ हुआ, जिसमें सूफी गायक अमृत वडाली की सुरमयी प्रस्तुति ने सभी मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भोपाल में हुआ IIA नैटकॉन 2025 का यह शुभारंभ न केवल वास्तुकला के क्षेत्र को एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ, बल्कि भारत के सांस्कृतिक, टिकाऊ और नवाचार-आधारित विकास के मॉडल को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने वाला ऐतिहासिक क्षण भी बना। अब यह यात्रा 13 अप्रैल को इंदौर में आगे बढ़ेगी।