बुंदेलखंड की सांस्कृतिक चेतना को मिलेगा नया आयाम, वृंदावन बाग मठ देगा स्थायी भवन की भूमि
सागर। बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सिविल लाइन, सागर स्थित बुंदेलखंड विश्वकोश कार्यालय एवं पुस्तकालय का लोकार्पण समारोह सम्पन्न हुआ। यह पुस्तकालय बुंदेलखंड विश्वकोश की संस्थापक संरक्षक मीना ताई के नाम पर समर्पित किया गया है।
कार्यक्रम का आयोजन आल्हा जयंती के अवसर पर हुआ, जिसमें सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ बुंदेलखंड की लोकसंस्कृति की झलक देखने को मिली। समारोह में मुख्य अतिथि सांसद डॉ. लता बानखेड़े, वृंदावन बाग मठ के महंत श्री श्री 108 नरहरिदास जी, अपर कलेक्टर श्री रूपेश उपाध्याय, वरिष्ठ समाजसेवी मीना ताई सहित अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही।
महंत नरहरिदास जी ने इस अवसर पर विश्वकोश को स्थायी भवन निर्माण हेतु वृंदावन बाग मठ की ओर से भूमि प्रदान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “यह विश्वकोश हमारी माटी की स्मृति है, जिसे संजोने की जिम्मेदारी हमारी है। मठ सदैव साहित्य, संस्कृति और शोध के कार्यों में सहभागी रहेगा।”
सांसद लता बानखेड़े ने कहा, “यह विश्वकोश बुंदेलखंड के वैभवशाली अतीत और सांस्कृतिक पूंजी को सहेजने का प्रयास है। मैं इसके लिए हरसंभव सहयोग करूंगी।”
भावविभोर मीना ताई ने कहा, “चार वर्ष पहले जब सरोज गुप्ता ने इस विश्वकोश की कल्पना साझा की थी, तब मैंने इसे एक स्वप्न की तरह देखा था। आज इसका मूर्त रूप देखकर आत्मिक संतोष मिल रहा है।”
इस अवसर पर दो पुस्तकों – ‘विरासत का संवाद’ (संपादक: डॉ. सरोज गुप्ता एवं सुमति कुमार जैन) और ‘प्रकृति प्रदत्त आहार ही जीवन’ (लेखक: डॉ. राजेश शुक्ला) का विमोचन भी हुआ।
कार्यक्रम के दौरान सचिव श्री सचिन चतुर्वेदी ने बताया, “यह कार्यालय केवल एक स्थान नहीं, बल्कि विचारों की जन्मस्थली होगा। यहाँ से इतिहास, साहित्य, भूगोल, परंपरा और लोकजीवन पर शोध होंगे, जो बुंदेलखंड की पुनर्परिभाषा करेंगे।”
विभिन्न वक्ताओं ने बुंदेलखंड की सांस्कृतिक पहचान, विरासत और पुनर्पाठ पर जोर देते हुए इस पहल को ऐतिहासिक बताया। कार्यक्रम में पुस्तकालय हेतु अनेक बुद्धिजीवियों ने पुस्तक और सामग्री दान की घोषणाएं कीं।
समारोह में डॉ. मीना ताई, पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, आचार्य पं. प्रभुदयाल मिश्रा, श्री देवेन्द्र जैन, श्रीमती माला जैन (भोपाल), डॉ. छाया चौकसे, श्री यशवंत चौकसे, श्री टीकाराम त्रिपाठी, श्री सुरेन्द्र सिन्हा (छतरपुर) और श्री महेश पटेल को विशेष सम्मान प्रदान किया गया।
इस लोकार्पण कार्यक्रम ने स्पष्ट कर दिया कि वृंदावन बाग मठ अब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि बुंदेलखंड की स्मृति और शोध की स्थली बन चुका है। यह केंद्र आने वाले वर्षों में विद्यार्थियों, शोधार्थियों और पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।