नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश में जैव प्रौद्योगिकी को नई दिशा देने के उद्देश्य से “बायो-E3” नीति की शुरुआत की है। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस नीति पत्र को औपचारिक रूप से जारी करते हुए कहा कि यह नीति भारत को अगली औद्योगिक क्रांति में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करेगी और सतत विकास को बढ़ावा देगी।
बायो-E3: तीन प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस
बायो-E3 का मतलब है अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology for Economy, Environment, and Employment)। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में इस नीति को मंजूरी दी गई, जिसमें उच्च प्रदर्शन वाले बायोमैन्युफैक्चरिंग पर विशेष जोर दिया गया है। यह नीति दवा से लेकर कृषि और खाद्य चुनौतियों तक, जैव आधारित उत्पादों के विनिर्माण को प्रोत्साहित करेगी।
बायो-E3 के उद्देश्य और प्रभाव
इस नीति का उद्देश्य तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है:
अर्थव्यवस्था: जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक विकास।
पर्यावरण: पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास।
रोजगार: नई नौकरियों के सृजन और कौशल विकास से रोजगार के अवसर बढ़ाना।
यह नीति खाद्य, ऊर्जा, स्वास्थ्य, जलवायु अनुकूल कृषि, और कार्बन कैप्चर सहित कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभाव डालेगी।
जैव अर्थव्यवस्था में मील का पत्थर
बायो-E3 नीति 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। जैव अर्थव्यवस्था, जो 2014 में $10 बिलियन थी, 2024 तक $130 बिलियन से अधिक हो गई है, और 2030 तक इसके $300 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
विकसित भारत के लिए बायो-विजन
यह नीति ‘चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था’ को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत को हरित विकास के मार्ग पर अग्रसर करेगी। यह जलवायु परिवर्तन और घटते गैर-नवीकरणीय संसाधनों जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भी मदद करेगी।
आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर
बायो-E3 नीति के तहत जैव प्रौद्योगिकी में निवेश और विकास से भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी, और पर्यावरणीय सुधार के साथ रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
यह भारत के विकास की एक नई पहल है, जो जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक, पर्यावरणीय, और रोजगार के लक्ष्यों को एक साथ सशक्त बनाएगी। इस नीति के सफल कार्यान्वयन से भारत एक वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।