बिलासपुर। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए किए गए टेंडर में लंदन की दो कंपनियों को पात्र पाया गया था। उन्हें कार्यादेश देने की बारी आई तो वित्त विभाग ने आपत्ति कर दी। दो दौर की बैठक में कंपनियां शासन के मांगे गए दस्तावेज उपलब् नहीं करा पाई है। इसके चलते टेंडर निरस्त कर री टेंडर करने का प्रस्ताव पास कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शहर का नाम शामिल तो कर लिया है, लेकिन काम शुरू करने को लेकर लगातार विवाद की स्थिति बनी हुई है। इसके लिए सबसे पहली जरूरत कंसलटेंट के विशेषज्ञों की है। उनकी सलाह पर शहर में काम शुरू होगा। शासन स्तर पर इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।
दूसरी बार किए गए टेंडर का नतीजा भी कुछ नहीं निकला। इस बार खास बात यह है कि टेंडर करने के बाद लंदन की दो कंपनी डिलाइट और पीडब्ल्यूसी ( प्राइस वाटर हाउस कूपर) को पात्र पाया गया था। यही कारण है कि उनका टेंडर खोला गया। दोनों के फायनेंस बीड खोलने के बाद यह आपत्ति लगाई गई है। अधिकारियों का कहना था कि कंपनी का टर्न ओवर उतना नहीं है, जितना टेंडर शर्त में मांगा गया था।
उनकी आपत्ति को लेकर अधिकारियों में दो दौर की बैठक हो चुकी है। कंपनी को कुछ नए दस्तावेज लेकर आने के लिए कहा गया था। सारे दस्तावेज जमा होने के बाद भी फायनेंस विभाग आपत्ति पर कायम रहा। इसी के चलते अधिकारियों ने फिर से स्मार्ट सिटी का टेंडर करने का निर्णय लिया। इस बार 15 दिन का शॉर्ट टेंडर निकाला जा रहा है।
करोड़ों का है स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 4,399 करोड़ स्र्पए का प्रस्ताव बनाया गया है। इसमें से एक हजार करोड़ स्र्पए केंद्र और राज्य शासन का अंशदान रहेगा। शेष राशि निगम को पीपीपी मॉडल से लाना होगा।
इनका कहना है
स्मार्ट सिटी कंसलटेंट के लिए आई दोनों कंपनियां अपात्र घोषित हो गई हैं। लिहाजा टेंडर निरस्त कर दिया गया है। अब शॉर्ट टेंडर किया गया है। इसके बाद ही आगे निर्णय होगा।