रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के सरकारी स्कूलों में एक बार फिर से धार्मिक नायकों की कहानी पढ़ाई जाएगी। लंबे समय बाद बच्चों को नैतिकता और कर्म का पाठ पढ़ाने के लिए हिन्दी के साथ सहायक पाठ्यक्रम ‘बाल रामकथा पुस्तक लागू की गई है। छठवीं में पहली बार सीबीएसई पैटर्न की एनसीईआरटी की किताबों में हिन्दी के सहायक पाठ्यपुस्तक के तौर पर इसे पढ़ाया जाएगा।
इसमें मर्यादा पुस्र्षोत्तम श्रीराम के जीवन का संक्षिप्त परिचय व सीख को कहानी के रूप में डाला गया है। इस पुस्तक के माध्यम से बच्चों को अच्छाई और बुराई के बारे में बताते हुए नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाएगा।
छत्तीसगढ़ राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने प्रदेश के सभी जिलों में चुनिंदा 153 मिडिल स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलकर इस पुस्तक को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया है। आगे सभी स्कूलों में लागू करने की तैयारी है।
बाल रामकथा में ये होंगे प्रमुख पाठ
‘बाल रामकथा पुस्तक में अवधपुरी में राम, जंगल और जनकपुर, दो वरदान, राम का वन-गमन, चित्रकूट में भरत, दंडक वन में दस वर्ष, सोने का हिरण, सीता की खोज, राम और सुग्रीव, लंका में हनुमान, लंका विजय, राम का राज्याभिषेक आदि प्रमुख पाठ पढ़ाए जाएंगे।
अगली कक्षा में बाल महाभारत
छठवीं के बच्चे अगले साल जब कक्षा सातवीं में जाएंगे तब इन्हें हिन्दी की सहायक पुस्तक के साथ ‘बाल महाभारत भी पढ़ाया जाएगा। इसमें भीष्म प्रतिज्ञा के जरिये दृढ़ निश्चय, पांडवों की रक्षा, मायावी सरोवर, प्रतिज्ञा-पूर्ति, महाभारत के युद्ध व गीता के रहस्यों को भी पढ़ाया जाएगा। इसी तरह कक्षा आठवीं में ‘भारत की खोज पुस्तक में बच्चों को आर्यों का आगमन, प्राचीनतम अभिलेख, धर्मग्रंथ, पुराण, वेद, गीता, भारतीय संस्कृति की निरंतरता , उपनिषद, भौतिकवाद आदि पढ़ाया जाएगा।