चंदेरी@निर्मल विश्वकर्मा की रिपोर्ट/ भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, तथा एविडेंस एक्ट की जगह साक्ष्य अधिनियम में परिवर्तित हो कर प्रभावी ढंग से लागू हुए कानून के बारे में समुचित जानकारी देने के उद्देश्य से थाना प्रांगण चंदेरी में जन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जन संवाद कार्यक्रम में चंदेरी न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश, शहाबुद्दीन हासमी,न्याय धीश रितिका पाठक ,न्यायाधीश मानसी अग्निहोत्री सहित पुलिस,राजस्व विभाग के जिम्मेदार पदाधिकारी गण तथा चंदेरी के समस्त गणमान्य नागरिक, पत्रकार गण, इस जनसंवाद कार्यक्रम में मौजूद रहे।
जन संवाद कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि नए कानून के लागू होने पर भारत की न्याय प्रणाली आईपीसी के तहत अंग्रेजों द्वारा बनाए गए औपनिवेशिक कानून से मुक्त हो चुकी है। यह जानकारी देते हुए अपर सत्र न्यायाधीश ने बताया कि कानून दंड नहीं बल्कि न्याय केंद्रित है इसके अतिरिक्त सॉफ्टवेयर में किस तरह से एंट्री की जानी है, साक्ष्य कैसे एकत्रित किए जाने हैं, इन सभी बिंदुओं के बारे में भी उपस्थित नागरिक एवं पुलिस कर्मियों को जानकारी दी गई।
केस डायरी, आरोप पत्र, फैसला सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटली करण किया जाएगा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए न्यायालय में पेशी 60 दिन में आरोप पत्रों का तय होना मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन के अंदर निर्णय देना सिविल सेवकों के मामले में 120 दिन में निर्णय जारी करना। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के अंतर्गत मामलों की तय समय में जांच सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देने का प्रावधान है।
छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य होगा। न्यायाधीश ने बताया कि कानून में नए बदलावों के तहत जीरो एफ आई आर , ई एफआईआर को कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया है। फरियादी एफ आई आर बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिये जाने का प्रावधान किया गया है। फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ की बिंदु भी ले सकता है। इस नए कानून में आमजन को बहुत सारे लाभ प्रदान किए गए हैं।