खबर डिजिटल/ मध्यप्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठकों में अब एक दिलचस्प बदलाव देखा जा रहा है। जहाँ पहले कैबिनेट की बैठक के दौरान बिसलेरी जैसी प्लास्टिक की पानी की बोतलें और कांच के गिलास उपयोग किए जाते थे, अब उनकी जगह तांबे की बोतलें और गिलास आ गए हैं। यह बदलाव राज्य सरकार के पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रतीक है।
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल एक ओर तो प्लास्टिक के कचरे को कम करने में सहायक होगा, वहीं दूसरी ओर इससे स्वास्थ्य के कई फायदे भी मिलेंगे। आयुर्वेद के अनुसार, तांबे में पानी को कुछ घंटों तक रखने से उसमें प्राकृतिक शुद्धता और औषधीय गुण आ जाते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन तंत्र को ठीक रखने और संक्रमण से लड़ने में सहायक होते हैं।
इस कदम से राज्य सरकार का उद्देश्य न केवल कैबिनेट बैठकों में पारंपरिक भारतीय स्वास्थ्य उपायों को बढ़ावा देना है, बल्कि एक उदाहरण प्रस्तुत करना भी है कि कैसे छोटे-छोटे बदलावों से पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाई जा सकती है। इस निर्णय ने तांबे के उपयोग को प्रोत्साहित करने का संदेश दिया है, जो कि प्लास्टिक की तुलना में एक अधिक टिकाऊ और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है।
तांबे का महत्व और स्वास्थ्य लाभ
तांबे का उपयोग भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। माना जाता है कि तांबे के बर्तनों में पानी पीने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। आयुर्वेद भी इसके गुणों की पुष्टि करता है, जिसमें पाचन में सुधार, संक्रमण से बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता शामिल है।