उमरियापान.खबर डिजिटल. अंकित झारिया:- उमरियापान में स्थायी बस स्टैंड का निर्माण न हो पाने से यात्रियों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। हालात ऐसे हैं कि बसें कहीं भी सड़क पर खड़ी हो जाती हैं, जिससे यात्री परेशान और यातायात अवरुद्ध होता है। गर्मी के दिनों में यात्री झुलसती धूप में, बरसात में पानी और कीचड़ में खड़े होकर बसों का इंतजार करने को मजबूर हैं। बस स्टैंड पर बैठने की सुविधा तक न होने से महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग खासे परेशान रहते हैं।पीने के पानी की व्यवस्था न होने से यात्री दुकानों में जाकर पानी पीते हैं। बरसात के दिनों में अस्थायी बस स्टैंड कीचड़ में तब्दील हो जाता है। खुले में बसों का संचालन न केवल अव्यवस्था फैलाता है, बल्कि दुर्घटना की आशंका भी बढ़ा देता है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कई वर्षों से बस स्टैंड निर्माण की मांग उठ रही है, लेकिन जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
रोज करीब 60-70 बसों का आवागमन:- उमरियापान से कटनी, सिहोरा, मझगवां, जबलपुर, ढीमरखेड़ा से उमरिया तक आने जाने के लिए अस्थायी बस स्टैंड पर रोजाना करीब 60-70 बसें आती-जाती हैं। इन बसों में रोजाना हजारों यात्री आवागमन करते हैं। यहां बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से अक्सर यात्री यहाँ वहाँ खड़े रहकर बसों का इंतजार करते हैं। इन दिनों तो बस स्टैंड में गंदगी का आलम हैं। हैंडपंप के समीप और शौचालयों में गंदगी पसरी हैं। बदबू से यहाँ पर दुकान लगाने वाले दुकानदार और यात्री परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना है कि स्थायी बस स्टैंड का अपना नया नहीं है।लगातार मांग और घोषणाओं के बावजूद उमरियापान का बस स्टैंड सिर्फ कागजों और आश्वासनों तक ही सीमित है।
1993 में रखी गई थी नींव,बजट आबंटन की राह में अटकी फाइलें:- उमरियापान में साल 1993 में तत्कालीन एसडीओ अजीत केशरी ने बस स्टैंड की आधारशिला रखी थी। बस स्टैंड की जमीन आज भी अतिक्रमण की चपेट में हैं।उमरियापान में बस स्टैंड के लिए पर्याप्त जमीन न मिलने से करीब एक किलोमीटर दूर बम्हनी में प्रशासन ने बस स्टैंड निर्माण के लिए जमीन का जायजा लेकर नपाई कराई और वरिष्ठ अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा था।साल 2016 में लोकसभा उपचुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उमरियापान को नगर परिषद का दर्जा देने और सुव्यवस्थित बस स्टैंड निर्माण की घोषणा की थीं, तब से ग्रामीण इन सौगातों को पूरे होने की आस लगाए हैं, लेकिन आज तक यह घोषणा हकीकत में नहीं बदल सकी। जिले के तत्कालीन कलेक्टर अवि प्रसाद ने आयुक्त सह संचालक पंचायत राज संचालनालय भोपाल को पत्र लिखकर बस स्टैंड निर्माण के लिए बजट आबंटन प्रदान करने की मांग की है। इसके पहले साल 2019 में भी जिले के तत्कालीन कलेक्टर ने तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद बस स्टैंड निर्माण हेतु 33.58 लाख रुपए का बजट आबंटित करने मांग की ,लेकिन स्वीकृति न मिलने से बस स्टैंड निर्माण नही हो सका।