प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 से 2030-31 तक के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ – तिलहन) को मंजूरी दी है। इस मिशन का उद्देश्य घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देकर खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। इस योजना के तहत 10,103 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान किया गया है।
मिशन में प्रमुख तिलहन फसलों जैसे रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल के उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके तहत प्राथमिक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 69.7 मिलियन टन तक ले जाने का लक्ष्य है। साथ ही, मिशन जीनोम एडिटिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का विकास करेगा।
इस मिशन के तहत 347 विशिष्ट जिलों में 600 से अधिक मूल्य श्रृंखला क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, कृषि पद्धतियों का प्रशिक्षण और सलाहकार सेवाएं मिलेंगी। इसके अतिरिक्त, तिलहन के रकबे में 40 लाख हेक्टेयर तक की वृद्धि की जाएगी।
मिशन का उद्देश्य न केवल घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ाना है, बल्कि किसानों की आय में वृद्धि करना, आयात निर्भरता को कम करना और पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त करना है।
भारत वर्तमान में खाद्य तेलों की घरेलू मांग का 57% आयात पर निर्भर है। इस निर्भरता को कम करने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं, जिनमें राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) का शुभारंभ शामिल है।
इससे तिलहन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि के माध्यम से लाभ सुनिश्चित किया जाएगा, और खाद्य तेलों पर 20% आयात शुल्क लगाया गया है, जिससे स्थानीय खेती को प्रोत्साहित किया जा सके।
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