जानेमाने गीतकार मनोज मुंतशिर का कार्यक्रम 'मैं हूँ भारत' आज
रवीन्द्र भवन में 19 से 21 दिसंबर 2022 तक तीन दिवसीय आयोजन
फौजिया दास्तानगो सुनाएँगी 'दास्तान-ए-राम'
भोपाल। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, स्वराज संस्थान संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन एवं सैम ग्लोबल विश्वविद्यालय की सहभागिता में "भारतीय ज्ञान परंपरा का वैश्विक योगदान" विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन आज से शुरू हो रहा है। इस विमर्श का उद्धाटन दोपहर 12:00 बजे रवीन्द्र भवन सभागार में माननीया संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर एवं माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में होगा। जिसकी अध्यक्षता म.प्र. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. भरतशरण सिंह करेंगे। 21 दिसंबर तक चलने वाले इस विचार समागम में देशभर के विद्वान और विशेषज्ञ अपने शोधपरक पत्रों को वाचन करेंगे। सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत फौजिया दास्तानगो के 'दास्तान-ए-राम' से होगी जबकि जानेमाने गीतकार मनोज मुंतशिर 'मैं हूँ भारत' विषय पर दर्शकों से संवाद करेंगे।
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा के बहुआयामी तथ्यों और तत्वों को पुनर्प्रकाशित करने के अभीष्ट से राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया जा रहा है। इस विमर्श में ज्ञान, विज्ञान, तकनीकी, परंपरा, गणित, स्वास्थ्य, कृषि, योग, दर्शन, कला, संस्कृति के छुए-अनछु पहलुओं पर विमर्श किया जाएगा। यह कार्यक्रम आधुनिक समय में भारतीय ज्ञान के आधार पर किये गये शोध, निर्माण, आविष्कारों को समाज के समक्ष प्रकाशित करने का कार्य करेगा।
इन विषयों पर होगा विमर्श
पहला दिन: 'वैश्विक कला एवं संस्कृति पर भारतीय ज्ञान परंपरा का तत्व''
दूसरा दिन: 'वैश्विक चिकित्सा प्रणाली में वैदिक ज्ञान का तत्व', 'वेद उपनिषद-ज्ञान के स्रोत एवं अन्वेषण यंत्र'
तीसरा दिन: 'देशज ज्ञान के संवर्धन में भारतीय ज्ञान परंपरा का योगदान' , 'तकनीकी एवं विज्ञान के संदर्भ में भारतीय ज्ञान परंपरा का दृष्टिकोण'
विक्रमकालीन वैज्ञानिक उपलब्धियाँ नामक पुस्तक का होगा विमोचन
इस राष्ट्रीय विमर्श में डॉ. मुकेश कुमार शाह की विक्रमकालीन वैज्ञानिक उपलब्धियाँ का लोकार्पण होगा। यह किताब विक्रमादित्यकालीन के वैज्ञानिक उपलब्धियों पर केन्द्रित है। जिसे महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा प्रकाशित किया गया है।
शोधपीठ निर्मित डाक्यूमेंट्री फिल्मों का प्रदर्शन
हर सत्र की शुरूआत में वृहत्तर भारत की सांस्कृतिक चेतना पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्में- 'ब्रह्माण्ड', 'सूर्यसिद्धांत', 'नव सम्वत्सर सृष्टि का आरंभ', 'भारत का पराक्रम विक्रम सम्वत्', 'सम्राट विक्रमादित्य और आयोध्या' आदि फिल्मों को दिखाया जाएगा। इन फिल्मों का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा कराया गया है।
कल होगी इनकी प्रस्तुति
राष्ट्रीय विमर्श के दूसरे दिन श्रीमती डॉली (देसाई) भार्गव निर्देशित तेजस्विनी(वेद में ऋषिकाएँ) विषय पर केन्द्रित नाट्य प्रस्तुति होंगी।
कार्यक्रम से पहले मनोज मुंतशिर का संदेश
सुपरिचित गीतकार, लेखक और कवि मनोज मुंतशिर शुक्ला ने एक वीडियो संदेश जारी कर रहा है कि भारत वर्ष की सनातन सभ्यता ने इस संसार को बहुत कुछ दिया है। योग से यज्ञ और सुरों से संख्याओं तक जब भी दुनिया को कुछ देने की बात आयी तो हम कभी पीछे नहीं हटे। और इसीलिये सभ्यता के सूर्य भारतवर्ष की ज्ञान परंपरा का लौहा आज समूचा विश्व मानता है। उन्होंने इस आयोजन के लिए महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ को धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं भी दी।