‘मर्सी फीडिंग: शहरी क्षेत्रों में कबूतरों का खतरा’ पर डॉक्यूमेंट्री का लोकार्पण
मुंबई: बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) ने आज जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन के सहयोग से अपनी नवीनतम डॉक्यूमेंट्री ‘मर्सी फीडिंग: शहरी क्षेत्रों में कबूतरों का खतरा’ लॉन्च की। यह डॉक्यूमेंट्री शहरी क्षेत्रों में कबूतरों को अनियंत्रित रूप से खिलाने के कारण पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालती है।
मुद्दे की पृष्ठभूमि
शहरी क्षेत्रों में कबूतरों को खिलाना, जिसे अक्सर ‘मर्सी फीडिंग’ कहा जाता है, उनकी आबादी में अनियंत्रित वृद्धि का कारण बनता है। यह दयालुतापूर्ण कार्य प्रतीत हो सकता है, लेकिन इसके गंभीर परिणाम होते हैं। यह न केवल स्थानीय जैव विविधता को प्रभावित करता है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता है। कबूतर हवा से फैलने वाली बीमारियों के वाहक माने जाते हैं, और उनकी बीट इमारतों और सार्वजनिक स्थलों को नुकसान पहुंचाती है।
फिल्म में क्या है?
जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन के सहयोग से बनी इस डॉक्यूमेंट्री में विशेषज्ञों की राय के माध्यम से कबूतरों को अनियंत्रित रूप से खिलाने के घातक प्रभावों की पड़ताल की गई है।
फिल्म की मुख्य विशेषताएँ:
- कबूतरों की अधिक जनसंख्या के पारिस्थितिकी तंत्र और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
- शहरी जैव विविधता को बाधित करने में अत्यधिक भोजन की भूमिका
- मर्सी फीडिंग की प्रथा को रोकने की आवश्यकता
- जंगली-शहरी-पक्षी जीवन को संतुलित रूप से बढ़ावा देना
जागरूकता बढ़ाने की पहल
यह फिल्म तथ्यों और विशेषज्ञों की राय के माध्यम से जनता को शिक्षित करने और सूचित निर्णय लेने के लिए प्रेरित करती है। इसका उद्देश्य जिम्मेदार शहरी वन्यजीव प्रबंधन को बढ़ावा देना है और नागरिकों, नीति निर्माताओं और शहरी योजनाकारों से कबूतरों को अनियंत्रित रूप से खिलाने की प्रथा रोकने की दिशा में काम करने का आग्रह करना है।
उद्घाटन समारोह और विशेषज्ञों की राय
जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन की अध्यक्ष श्रीमती संगीता जिंदल ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी में बीएनएचएस के अध्यक्ष श्री प्रवीणसिंह परदेशी, आईएएस (सेवानिवृत्त) की उपस्थिति में इस फिल्म का अनावरण किया। इस अवसर पर बीएनएचएस के निदेशक श्री किशोर रीठे और सचिव डॉ. भारत भूषण भी उपस्थित थे।
श्रीमती संगीता जिंदल ने कहा, “हमारे शहरों में कबूतरों को खाना खिलाना भले ही दयालुता लगे, लेकिन यह गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। कबूतरों की अधिकता से बीमारियाँ फैलती हैं, इमारतों को नुकसान पहुँचता है और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है। सच्ची करुणा का अर्थ है लोगों और वन्यजीवों दोनों की रक्षा करना। मैं बीएनएचएस की ‘कबूतरों को दयापूर्वक खाना खिलाना बंद करो’ पहल का समर्थन करती हूँ।”
बीएनएचएस के अध्यक्ष प्रवीणसिंह परदेशी ने कहा, “शहरी कबूतरों को खाना खिलाने से उनकी आबादी बढ़ती है, जिससे अस्वास्थ्यकर परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। उनके मल से साल्मोनेलोसिस और क्रिप्टोकॉकोसिस जैसी बीमारियाँ फैलती हैं। यह डॉक्यूमेंट्री इन खतरों को उजागर करती है और जिम्मेदार शहरी वन्यजीव प्रबंधन की ओर बदलाव लाने का आग्रह करती है।”
बीएनएचएस के निदेशक किशोर रीठे ने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह फिल्म कबूतरों को अनियंत्रित रूप से खिलाने वाले समुदायों के बीच जागरूकता लाएगी और लोग इस प्रथा को बंद करने पर विचार करेंगे।”
डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए क्लिक करें: मर्सी फीडिंग: शहरी क्षेत्रों में कबूतरों का खतरा