BIS प्रमाणन को अनिवार्य बनाने के लिए सरकार का गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO); अनैतिक तरीके से काम करने वाले आयातक नियमों को दरकिनार करते हुए नॉन-मेडिकल ग्लव्स का भंडारण और दोबारा पैकेजिंग कर रहे हैं
नई दिल्ली– देश के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अधीन, फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने भारत के हेल्थ-केयर इकोसिस्टम और घरेलू विनिर्माण उद्योग के हितों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) को मेडिकल एवं सर्जिकल ग्लव्स (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2024 (QCO) प्रस्तुत किया है। QCO के लागू होने के बाद सभी प्रकार के मेडिकल एवं सर्जिकल ग्लव्स के लिए BIS प्रमाणन अनिवार्य हो जाएगा। इस तरह मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम एवं चीन से गैर-कानूनी तरीके से आयात किए जाने वाले घटिया ग्लव्स से भरे बाजार में गुणवत्ता आश्वासन और विनियामक निरीक्षण आसान हो जाएगा, जिसकी बहुत जरूरत है।
IRGMA ने किया बड़े घोटाले का खुलासा
यह घोषणा ऐसे महत्वपूर्ण समय पर की गई है, जब इंडियन रबर ग्लव्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IRGMA) ने ग्लव्स के आयात में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। अनैतिक तरीके से काम करने वाले आयातक QCO के लागू होने से पहले ही घटिया गुणवत्ता वाले नॉन-मेडिकल ग्लव्स की जमाखोरी कर रहे हैं, उन्हें मेडिकल ग्लव्स के रूप में दोबारा पैक कर रहे हैं, तथा अस्पतालों और क्लीनिकों तक पहुँचा रहे हैं। ऐसी गतिविधियाँ मरीजों की सुरक्षा और भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए गंभीर खतरा हैं।
चीन की चालबाज़ी और जमाखोरी के मामले
आयात से भरपूर लाभ उठाने की होड़:
आयातक QCO के लागू होने की संभावना को देखते हुए बड़ी मात्रा में नॉन-मेडिकल ग्लव्स की जमाखोरी कर रहे हैं, ताकि BIS प्रमाणन लागू होने के बाद इन्हें गलत लेबल लगाकर मेडिकल ग्लव्स के रूप में बेचा जा सके।
मलेशिया और थाईलैंड के रास्ते डंपिंग:
अमेरिकी टैरिफ के कारण चीन से ग्लव्स के निर्यात पर प्रतिबंध है, इसलिए चीनी निर्माता अपने अतिरिक्त स्टॉक को मलेशिया एवं थाईलैंड के माध्यम से भेज रहे हैं। इन ग्लव्स को भारत में कृत्रिम रूप से कम कीमतों पर बेचा जा रहा है, जिससे घरेलू उद्योग प्रभावित हो रहा है।
मरीजों और स्वास्थ्य-कर्मियों के लिए गंभीर खतरा:
घटिया गुणवत्ता के ये ग्लव्स AQL (स्वीकार्य गुणवत्ता स्तर) सुरक्षा परीक्षणों में विफल हो जाते हैं, जिससे संक्रमण तथा दूषित संपर्क का जोखिम बढ़ जाता है।
QCO: हेल्थकेयर और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में बड़ा बदलाव
अनुमानों के अनुसार, QCO लागू होने से सालाना ₹600-700 करोड़ मूल्य के ग्लव्स के आयात को विनियमित किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत में केवल BIS-प्रमाणित ग्लव्स ही बेचे जाएँ, चाहे वे आयातित हों या घरेलू रूप से निर्मित।
प्रमुख लाभ:
- घटिया ग्लव्स के थोक आयात पर रोक लगेगी।
- अस्पतालों में केवल ISI मार्क वाले ग्लव्स का उपयोग सुनिश्चित होगा।
- मेडिकल मैन्युफैक्चरिंग में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
IRGMA द्वारा सरकार से त्वरित कार्रवाई की माँग
IRGMA ने विभिन्न मंत्रालयों से अपील की है कि QCO लागू होने से पहले जमाखोरी और अवैध आयात को रोका जाए।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) और CDSCO:
- ‘मेडिकल ग्लव्स’ की परिभाषा को विस्तारित किया जाए, ताकि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सभी प्रकार के ग्लव्स प्रमाणन आवश्यकताओं के अंतर्गत आएँ।
- अस्पतालों में घटिया ग्लव्स की सप्लाई रोकने के लिए अनिवार्य ऑडिट लागू किया जाए।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (DGFT एवं सीमा शुल्क):
- BIS प्रमाणीकरण से बचने के लिए नॉन-मेडिकल के रूप में वर्गीकृत ग्लव्स के गलत लेबलिंग पर प्रतिबंध लगाया जाए।
- ग्लव्स के आयात की पूरी सप्लाई चेन की निगरानी की जाए।
- चीनी ग्लव्स के मलेशिया एवं थाईलैंड के माध्यम से दोबारा निर्यात पर रोक लगाई जाए।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय एवं BIS:
- सभी डिस्पोजेबल ग्लव्स पर BIS प्रमाणन को अनिवार्य किया जाए।
- दोबारा पैकेजिंग करने वाली कंपनियों पर औचक निरीक्षण और जुर्माना लगाया जाए।
वित्त मंत्रालय (सीमा शुल्क एवं GST):
- बंदरगाहों पर निगरानी बढ़ाई जाए और गुणवत्ता परीक्षण सख्ती से किया जाए।
- घटिया ग्लव्स पर भारी आयात शुल्क लगाया जाए।
IRGMA का सरकार को सहयोग देने का संकल्प
IRGMA ने सरकार को आगाह किया है कि यदि इस दिशा में जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है। IRGMA के प्रवक्ता, श्री विकास आनंद ने कहा:
“हम देख रहे हैं कि QCO लागू होने से पहले भारत के बाजार को घटिया ग्लव्स से भरने की कोशिश हो रही है। ये ग्लव्स गलत तरीके से ‘नॉन-मेडिकल’ के रूप में आयात किए जाते हैं और दोबारा पैक करके अस्पतालों को भेजे जाते हैं। सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।”
भारत अब गुणवत्ता नियंत्रण और आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम उठा रहा है। इसे देखते हुए, IRGMA सभी संबंधित प्राधिकरणों के साथ मिलकर काम करने के संकल्प पर कायम है, ताकि सप्लाई चेन से असामाजिक तत्वों को दूर किया जा सके और केवल उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित ग्लव्स का उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।