रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद पांच मरीजों की आंखों में संक्रमण फैल गया। पांचों को दिखाई देना बंद हो गया। आनन-फानन में घबराए नेत्ररोग विभाग के डॉक्टर्स ने अधीक्षक को इसकी जानकारी दी। ऑपरेशन के 48 घंटे बाद मरीजों को एमजीएम आई हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया है।
फिलहाल इनका उपचार जारी है, दो मरीजों की सर्जरी भी की गई है। संक्रमण के कारण स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन दवा की गुणवत्ता या फिर स्टरलाइजेशन की प्रक्रिया में लापरवाही या चूक हो सकती है। उधर एम्स प्रबंधन ने जांच की बात कही है। पांच अप्रैल को एम्स में पांच मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन हुए थे। इन सभी को छह अप्रैल को डिस्चार्ज किया जाना था, लेकिन मरीजों ने दिखाई न देने की शिकायत की तो डॉक्टर्स में हड़कंप मच गया।
इन्होंने की सर्जरी- नेत्र सर्जन डॉ. लिपि चक्रवर्ती, डॉ. लुबना खान।
ये हैं मरीज
1- कुशल सिंह (58), बाईं आंख
2- महेंद्र बनवल (67), दाहिनी आंख
3- रामकृष्ण सोनी (67), बाईं आंख
4- तिलकराम कठारे (69) बाईं आंख
5- योगेश कुमार पांडेय (67), दाहिनी आंख
जबरिया किया गया डिस्चार्ज
मरीजों का आरोप है कि पहले तो केस बिगड़ने की जानकारी छिपाई गई, उसके बाद यह कहकर डराया-धकाया गया कि नहीं ले जाओगे तो तुम लोग ही जिम्मेदार होगे। परिजनों से लिखवाया गया कि वे छुट्टी करवाकर ले जा रहे हैं। डॉक्टर्स ने यह भी कहा कि रविवार को कोई इलाज नहीं होगा, इसलिए तत्काल ले जाओ। परिजन अपनी ही गाड़ियों से मरीजों को एमजीएम ले गए।
रायपुर एम्स अधीक्षक डॉ. अजय दानी ने कहा कि, अभी मैं स्पष्ट नहीं कह सकता कि आंखों में दिखाई न देने के पीछे क्या वजह हो सकती है। निदेशक बाहर हैं। उनके आने के बाद सोमवार को जांच कमेटी गठित की जाएगी। फिलहाल माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्ट के लिए सैंपल लिए जा चुके हैं।