भारत की अग्रणी सीमेंट निर्माता कंपनी, डालमिया भारत लिमिटेड (डीबीएल) ने देवघर में आयोजित वार्षिक ‘श्रावणी मेला 2023’ में कावड़ियों के उल्लेखनीय गुणों और स्थानीय युवाओं की अदम्य भावना का जश्न मनाया। कंपनी की ‘सैल्यूटिंग द एक्सपर्ट’ पहल को पूर्वी क्षेत्र में आगे बढ़ाने के अनुरूप देवघर के तीन प्रतिभावान युवा नायकों को ‘जय कांवर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
यह पुरस्कार कावड़ियों की सुदृढ़ता और डालमिया डीएसपी सीमेंट ‘ढलाई एक्सपर्ट’ द्वारा पेश की गई डोमेन विशेषज्ञता के बीच साझा तालमेल पर आधारित है। यह स्थानीय उपलब्धि हासिल करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अपने उद्देश्य और खुद पर विशेष विश्वास रखते हैं। इस वर्ष इस पुरस्कार को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया। इस प्रकार, श्री नीरज मंडल को एनईईटी में उनके शानदार प्रदर्शन के एवज में; प्रमुख व महत्वाकांक्षी एथलीट श्री आकाश कुमार को खेल में उनके अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए और उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता श्री समीर मिश्रा को सामुदायिक प्रयासों के प्रति उनके समर्पित योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
इन विजेताओं का चयन तीन सदस्यों वाले जूरी पैनल द्वारा किया गया। इस पैनल में संथाल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष; मारवाड़ी युवा मंच, देवघर के महासचिव और ऑल इंडिया वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के सचिव जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल थे। वार्षिक परंपरा बन चुका जय कांवर पुरस्कार इस वर्ष अपने तीसरे संस्करण में है, जो डालमिया सीमेंट और देवघर के लोगों के बीच विशेष संबंधों का प्रतीक है।
इस अवसर पर टिप्पणी करते हुए, कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, “हम जय कांवर पुरस्कार के माध्यम से इन युवाओं की असाधारण उपलब्धियों और अटूट दृढ़ संकल्प का सम्मान करते हुए बेहद गर्वित महसूस कर रहे हैं। क्षेत्र के स्थानीय युवाओं का समर्थन करना हमारे लिए सम्मान की बात है, जो हमारे प्रति उनके विश्वास को दर्शाता है। ये पुरस्कार समुदायों के उत्थान और उत्कृष्टता व सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयास करने वाले व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें मान्यता देने की हमारी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हैं।”
इस वर्ष यह धार्मिक तीर्थयात्रा जुलाई-सितंबर के महीनों में आयोजित की जा रही है। यह पूरे भारत से शिव भक्तों को एक साथ लाती है, जिनमें बड़ी संख्या में बिहार, बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और झारखंड से भक्त शामिल होते हैं। बिहार के सुल्तानगंज से 108 किलोमीटर की नंगे पैर वाली यह यात्रा दो महीने की होती है, जिसमें तीर्थयात्री गंगा से जल लेकर आते हैं।
यह यात्रा शारीरिक रूप से काफी कठिनाइयों भरी होती है। यात्रा के दौरान अक्सर यात्रियों के पैरों में चोट लग जाती है, जिसे ठीक होने में कई सप्ताह लग जाते हैं। फिर भी, अटूट आस्था से ओतप्रोत कावड़िए या बम लोग अपार भावना और निपुणता के साथ इसे पूरा करते हैं।