हैदराबाद – ग्रैन्यूल्स ग्रीन हार्टफुलनेस रन के सफल तीसरे संस्करण के उपरांत, आज जेवीआर पार्क में एक विशेष पोस्ट-रन पौधारोपण अभियान आयोजित किया गया। इस पहल का उद्देश्य 100 और पौधे लगाकर 2025 तक 30,000 पौधों का लक्ष्य प्राप्त करना है।
ग्रैन्यूल्स ट्रस्ट और हार्टफुलनेस द्वारा आयोजित इस अभियान को युवा मामले एवं खेल मंत्रालय तथा फिट इंडिया अभियान का समर्थन प्राप्त है। यह आयोजन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वृक्षारोपण में भाग लेने वाले प्रमुख व्यक्ति:
- श्री अतुल धवले (सीएचआरओ, ग्रैन्यूल्स इंडिया)
- श्री जोएल चंद्र (एवीपी, ग्रैन्यूल्स इंडिया लिमिटेड)
- श्रीमती चैतन्या (ग्रैन्यूल्स इंडिया लिमिटेड)
- श्री हरि तोटा (हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट)
- श्रीमती पल्लवी (फॉरेस्ट बाय हार्टफुलनेस)
- श्रीमती रचना मेहता (जीएचआर मैराथन निदेशक)
इस अभियान में कॉर्पोरेट जगत के नेताओं और स्वयंसेवकों ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया।
फॉरेस्ट बाय हार्टफुलनेस की भूमिका: फॉरेस्ट बाय हार्टफुलनेस पहल ने इस वर्ष 4,000 नए पौधे लगाने में योगदान दिया, जिससे पिछले वर्षों में लगाए गए 18,000 पौधों की संख्या और बढ़ गई। प्रारंभिक लक्ष्य 25,000 पौधों का था, लेकिन बढ़ते समर्थन के चलते यह लक्ष्य 30,000 तक बढ़ा दिया गया है।
भविष्य की स्थिरता के लिए रोडमैप: इस अवसर पर, आयोजकों ने अगले संस्करण के लिए अपने दृष्टिकोण और योजनाओं को साझा किया।
हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक एवं श्री राम चंद्र मिशन के अध्यक्ष श्रद्धेय दाजी ने कहा, “हरित भविष्य का निर्माण हमारी जिम्मेदारी है। हर नया पौधा एक नए जीवन का पोषण करता है। हमें खुशी है कि हर संस्करण के साथ अधिक लोग इस अभियान में जुड़ रहे हैं।”
ग्रैन्यूल्स इंडिया लिमिटेड की कार्यकारी निदेशक सुश्री उमा चिगुरुपति ने कहा, “हम अपने समुदायों के समर्थन से प्रेरित हैं और 30,000 पौधों के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं। हम केवल पेड़ नहीं लगा रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।”
पर्यावरणीय स्थिरता और सामुदायिक सहभागिता: इस पहल का उद्देश्य लुप्तप्राय पौधों की रक्षा, पर्यावरणीय स्थिरता और हार्टफुलनेस ध्यान अभ्यासों को बढ़ावा देना भी है।
हार्टफुलनेस के बारे में: हार्टफुलनेस एक ध्यान प्रणाली है, जो आंतरिक शांति, स्थिरता, करुणा और स्पष्टता को बढ़ावा देती है। इसकी उत्पत्ति 1945 में श्री राम चंद्र मिशन के साथ हुई और वर्तमान में यह 160 से अधिक देशों में फैली हुई है।