नई दिल्ली : अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील देते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते SC/ST एक्ट पर शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के चलते देश में इमरजेंसी जैसे हालात हैं। हजारों लोग सड़क पर है.. लिहाजा, इस आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाए। अटॉर्नी जनरल की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर दोपहर दो बजे खुली अदालत में सुनवाई करने का फैसला लिया है।
समग्र पुनर्विचार याचिका दायर
दरअसल, केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से SC/ST कानून पर दिए गए अपने फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया है। सरकार का कहना है कि शीर्ष न्यायालय के फैसले से इस समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, केंद्र सरकार SC/ST एक्ट पर उच्चतम न्यायालय के फैसले में कोई पक्षकार नहीं है और वह इस फैसले के पीछे दिए गए तर्क से ‘ससम्मान’ असहमत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले पर एक समग्र पुनर्विचार याचिका भी दायर की है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सरकार पूरी क्षमता के साथ सर्वोच्च न्यायालय में इस मुद्दे पर बहस करेगी। उन्होंने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार हमेशा से उपेक्षित वर्ग के समर्थन में रही है और भाजपा ने ही देश को दलित राष्ट्रपति दिया है।
दलित संगठनों ने किया प्रदर्शन
उल्लेखनीय है कि SC/ST एक्ट को कथित तौर पर शिथिल किए जाने के विरोध में सोमवार को दलित संगठनों द्वारा किए गए राष्ट्रव्यापी भारत बंद का असर मंगलवार भी देखा जा रहा है। कई दलित संगठन आज भी प्रदर्शन करने की बात कर रहे हैं। कई जगह प्रदर्शन ने हिंसक मोड़ ले लिया। इन घटनाओं में कम-से-कम 10 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए। बंद का सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल जिलों में देखा गया, जहां कई स्थानों पर भड़की हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। – इनपुट एजेंसी