हरदा जिले के राजपूत छात्रावास में 13 जुलाई को हुई घटना के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्त कार्रवाई करते हुए लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की है। जांच रिपोर्ट आने के बाद तत्काल प्रभाव से एडिशनल एसपी, एसडीओपी और एसडीएम को हरदा से हटा दिया गया है। वहीं, कोतवाली थाना प्रभारी और ट्रैफिक थाना प्रभारी को नर्मदापुरम् आईजी कार्यालय में अटैच किया गया है। दरअसल, समाज के छात्रावास में अनुचित बल प्रयोग और संवेदनशील स्थिति को सही ढंग से नियंत्रित न कर पाने की गंभीर चूक सामने आई थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई की है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रशासनिक लापरवाही और जवाबदेही से समझौता नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने लिया एक्शन
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ट्वीट कर कहा, हरदा जिले में 13 जुलाई को राजपूत छात्रावास में घटित प्रकरण की जांच के उपरांत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एसडीएम एवं एसडीओपी को तत्काल प्रभाव से हरदा जिले से हटाया गया है। थाना प्रभारी, कोतवाली एवं थाना प्रभारी (ट्रैफिक) को नर्मदापुरम् आईजी कार्यालय में अटैच किया गया है। समाज के छात्रावास में अनुचित बल प्रयोग एवं स्थिति को संवेदनशील रूप से निराकरण करने में की गई लापरवाही को लेकर यह एक्शन लिया गया है।
ये था हरदा राजपूत छात्रावास का मामला
बता दें कि हीरा खरीदी से जुड़े एक धोखाधड़ी के मामले को लेकर करणी सेना और पुलिस के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। आरोप है कि इसी के बाद पुलिस ने स्थानीय राजपूत छात्रावास में घुसकर करणी सेना के कार्यकर्ताओं और राजपूत समाज के युवाओं पर लाठीचार्ज किया। घटना के बाद पुलिस के लाठचार्ज को लेकर बीते शनिवार को राजपूत समाज ने नगर बंद का आह्वान किया, जिसे व्यापारियों समेत विभिन्न समाजों का भरपूर समर्थन मिला। राजपूत परिषद, मुस्लिम समाज और अन्य संगठनों के सहयोग से हरदा सहित खिरकिया, टिमरनी, हंडिया, रहटगांव जैसे आसपास के क्षेत्रों में भी बाजार पूरी तरह बंद रहे।
राजपूत परिषद के पदाधिकारियों ने लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल हटाने और पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। वहीं, नर्मदापुरम संभाग के राजपूत समाज अध्यक्ष बद्री पटेल ने बताया कि 13 जुलाई को पुलिस ने छात्रावास में जबरन घुसकर गेट तोड़ा और युवाओं पर लाठियां बरसाईं थी।