मनासा (राकेश राठौर)। नीमच जिले के सालिया खेड़ी निवासी महेश धनगर ने झोलाछाप बंगाली डॉक्टर की लापरवाही से हुए गंभीर स्वास्थ्य नुकसान की शिकायत की है। महेश का कहना है कि उसे दाद का इलाज करवाना था, जिसके लिए वह पास के चचोर ग्राम में एक बंगाली झोलाछाप डॉक्टर विश्वजीत परे के क्लिनिक गया, जो शासकीय पशु चिकित्सालय के पास स्थित है। इलाज के दौरान डॉक्टर की गलत दवाइयों और समय पर उपचार न मिलने से महेश के कूल्हे में गंभीर संक्रमण हो गया, जिसके चलते उसकी जान खतरे में आ गई।
महेश ने बताया कि इलाज की गंभीरता बढ़ने पर उसे नीमच में इलाज करवाना पड़ा, जहां से डॉक्टरों ने स्थिति को गंभीर मानते हुए उसे उदयपुर रेफर कर दिया। उदयपुर में इलाज के बाद ही महेश की हालत में सुधार आया और उसकी जान बच पाई। महेश का आरोप है कि जब उसने डॉक्टर से इस लापरवाही की बात की तो डॉक्टर ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने कोई इलाज नहीं किया।
महेश की मां ने 7 अक्टूबर, 2024 को संबंधित थाने में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसा पहली बार नहीं है; इससे पहले 2019 में भी इसी डॉक्टर के इलाज के कारण दशरथ माली नाम के व्यक्ति की जान जोखिम में पड़ी थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने तब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
इस प्रकार के झोलाछाप डॉक्टर बिना किसी चिकित्सा डिग्री के इलाज करते हैं और स्वास्थ्य विभाग से कोई लाइसेंस नहीं होने के बावजूद, लोगों को गंभीर खतरों में डालते हैं। आरोप है कि नीमच जिले के रामपुरा, कुकड़ेश्वर और मनासा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के चलते इन फर्जी डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। क्षेत्र में इस तरह के अवैध डॉक्टरों का गिरोह सक्रिय है, जो मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई करें, ताकि भविष्य में किसी और की जान को खतरे में न डाला जाए।