राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत को फिर से विश्वगुरु बनाने के आदर्श हैं  - मुकुल कानिटकर

भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय अभ्यास वर्ग के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए देश के सुप्रसिद्ध राष्टवादी चिंतक  विचारक और भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर ने विद्यार्थियों एवं शिक्षाविदों को संबोधित किया।  इस अवसर पर श्री कानिटकर ने कहा कि शिक्षा के वैश्वीकरण की संकल्पना पूरे विश्व को भारत की देन है, भारत में ही विश्वविद्यालय की अवधारणा विकसित हुई और विद्यालय ऐसे अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित किए गए जिनमें विभिन्न देशों से लोग शिक्षा प्राप्त करने आते थे। इसलिए इनका नाम प्राचीनकाल से ही विश्वविद्यालय रखा गया। आज आवश्यकता है भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने की। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है लेकिन हम सब के योगदान के बिना इसे लागू करना संभव नहीं होगा।
श्री कानिटकर ने कहा कि दुनिया में जितने भी सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय हैं उनमें पढ़ाई की पद्धति सीखने की है न कि पढ़ाने की, और यह पद्धति भारत की ही देन है, जिसे हम भूल गए। आज हमें अध्यापक नहीं अध्ययन उन्मूखी शिक्षा व्यवस्था अपनानी होगी।

इससे पहले उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने उज्जैन के संदीपनी आश्रम में भगवान कृष्ण और संदीपनी ऋषि के आख्यान से गूरू शिष्य परंपरा और  शिक्षा नीति में भारतीय मूल्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें वर्तमान संदर्भ में गुरु और विद्यार्थी के बीच एक अलौकिक और मूल्य आधारित संबंध बनाना होगा जिससे कि शिक्षा का भारतीयकरण करते हुए इसे सार्थक और कल्याणकारी बनाया जा सके।


कार्यक्रम के प्रारंभ में मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो भरत शरण ने उद्घाटन सत्र के प्रारंभ में अभ्यास वर्ग की पृष्ठभूमि एवं रूपरेखा रखते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया। एलएनसीटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री जय नारायण चौकसे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम संचालन का प्रो संदीप कुलश्रेष्ठ ने किया। उद्घाटन सत्र के बाद भारतीय शिक्षण मंडल के सह संगठन मंत्री श्री शंकरानंद जी का पाथेय प्रशिक्षणार्थियों को प्राप्त हुआ।

भोपाल के एलएनसीटी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों के साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षक एवम शिक्षाविद उपस्थित थे।  भारतीय शिक्षण मंडल कि विश्वविद्यालय इकाई के तीन दिवसीय अखिल भारतीय अभ्यास वर्ग में विभिन्न सत्रों में देश भर से आए प्रतिभागियों को विश्वविद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था के पुनरुत्थान करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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