भुवनेश्वर : शतरंज की बिसात पर इस बार सिर्फ चालें नहीं चली गईं, बल्कि इंसानी जज़्बे और आत्मा की ताक़त ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। पूर्वी भारत की प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्था साई इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप ने ऑल इंडिया चेस फेडरेशन फॉर द ब्लाइंड (AICFB) और ओडिशा चेस एसोसिएशन फॉर द विजुअली चैलेंज्ड (OCAVC) के सहयोग से 18वीं राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता की सफल मेज़बानी की। यह प्रतियोगिता 2 अप्रैल से 6 अप्रैल तक भुवनेश्वर स्थित साई इंटरनेशनल रेजिडेंशियल स्कूल में आयोजित की गई।
इस प्रतिष्ठित आयोजन में गुजरात के दर्पण ईरानी ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए किसन गंगोली को टाई-ब्रेक के आधार पर हराकर खिताब अपने नाम किया। दोनों खिलाड़ियों ने समान 7.5 अंक अर्जित किए थे, लेकिन निर्णायक क्षण में रणनीति ने दर्पण का साथ दिया।
प्रतियोगिता में देशभर के 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 54 खिलाड़ी (52 पुरुष, 2 महिला) शामिल हुए। प्रमुख नामों में आर्यन बी जोशी, सौंदर्य कुमार प्रधान और मिलिंद सामंत जैसे दिग्गज शामिल थे।
शीर्ष पांच विजेताओं की सूची:
- 🥇 पहला स्थान – दर्पण ईरानी
- 🥈 दूसरा स्थान – किसन गंगोली
- 🥉 तीसरा स्थान – आर्यन बी जोशी
- चौथा स्थान – सौंदर्य प्रधान
- पांचवां स्थान – मिलिंद सामंत
छठे से दसवें स्थान तक के खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया गया।
समापन समारोह में भावनाओं का संगम
6 अप्रैल को आयोजित समापन समारोह में आध्यात्मिक गुरु एवं विद्वान डॉ. चंद्र भानु सत्पथी ने विजेताओं को संबोधित करते हुए कहा,
“इन खिलाड़ियों की इच्छाशक्ति और बौद्धिक क्षमता प्रेरणा का जीवंत उदाहरण है। शतरंज सिर्फ एक खेल नहीं, यह मन, आत्मा और रणनीति का अद्भुत संगम है।”
इस समारोह में उन्होंने उन खिलाड़ियों को विशेष रूप से सम्मानित किया जिन्होंने विश्व टीम चैंपियनशिप 2022 और एशियन पैरा गेम्स जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
समारोह में ओडिशा सरकार के खेल एवं युवा सेवा विभाग के निदेशक श्री दीपांकर मोहापात्र (IAS) और साई रेजिडेंशियल स्कूल के प्राचार्य श्री अमिताभ अग्निहोत्री भी उपस्थित रहे। प्रतियोगिता के मुख्य निर्णायक श्री एम मंジュनाथ थे, जिनकी सहायता के.आर. प्रधान और पिंकी मोहापात्र ने की।
‘यह टूर्नामेंट नहीं, एक आंदोलन था’
साई इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप की अध्यक्ष डॉ. शिल्पी साहू ने कहा,
“यह आयोजन केवल प्रतियोगिता नहीं था, यह समानता, समावेशन और आत्मबल का उत्सव था। हमारे संस्थापक डॉ. बिजय कुमार साहू का विश्वास था कि शिक्षा और खेल समाज को बदलने की शक्ति रखते हैं — यह आयोजन उसी दृष्टि को समर्पित रहा।”
इस आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध किया कि खेल की दुनिया में असली जीत दृष्टि से नहीं, दृष्टिकोण से होती है।