अतिक्रमण की चपेट में है ऐतिहासिक नगर चंदेरी, दबंगों के कठपुतली बने अधिकारी, सिंधिया भी मौन

निर्मल विश्वकर्मा, चन्देरी मध्य प्रदेश सरकार एवं क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के अथक प्रयासों द्वारा ऐतिहासिक नगर चंदेरी को विश्व पटल पर लाने की पुरजोर कोशिश जारी है जिसमें पिछले सप्ताह क्षेत्रीय प्रवास पर आए सांसद सिंधिया द्वारा प्रेस वार्ता में बताया गया था कि चंदेरी को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करने हेतु प्रयास जारी है. चंदेरी नगर के आसपास नगर के सौंदर्य करण एवं विकास हेतु 25 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत कराई गई है. ताकि नगर का विकास संभव हो सके।  इस हेतु सांसद सिंधिया का पुरजोर प्रयास जारी है किंतु जिस चंदेरी को मध्य प्रदेश सरकार एवं क्षेत्रीय सांसद द्वारा विश्व पटल पर उभारने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं पर दबंगों ने अतिक्रमण कर रखा है। यहां के अधिकारी भी दबंगों के कठपुतली बने हैं।

प्रशासनिक अधिकारियों की दबंगों से मिलीभगत

चंदेरी शहर की मुख्य सुरक्षा दीवार जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीनस्थ नहीं है जिस पर नगरीय प्रशासन एवं तहसील प्रशासन का स्वामित्व स्थापित है जिस पर हो रहे अतिक्रमण के विरोध में संबंधित अतिक्रमणकारियों को मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा 223/ 2 के तहत, एवं तहसीलदार चंदेरी द्वारा राजस्व की धारा 248 के तहत अतिक्रमण अतिक्रमणकारियों को नगर के क्षेत्र की शासकीय भूमि पर अतिक्रमण हटाने हेतु सीधे तौर पर अधिकार प्राप्त हैं. इसके बाद भी  प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण समाप्त नहीं किया जा रहा।

कमजोर वर्ग पर हावी अधिकारी, दबंगों के बने कठपुतली

गौरतलब है कि नगर के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा की गई शिकायतों के बाद भी तहसील प्रशासन एवं नगरीय प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही। अतिक्रमणकारियों को दी जाने वाली प्रशासनिक अधिकारियों की मौन स्वीकृति कहीं जाना अतिशयोक्ति नहीं होगी। कमजोर वर्ग पर अधिकारी हावी है और दबंगों के हाथ की कठपुतली बने हैं।

अतिक्रमण को लेकर अधिकारी नहीं ले रहें एक्शन

अधिकारी केवल सामान्य वर्ग के व्यक्तियों के द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण पर ही अपनी नियमोचित कार्यवाही करते हैं और इसके विपरीत दबंगों को एवं जनप्रतिनिधियों को पूर्ण संरक्षण प्राप्त किया जाता है जिससे प्रतीत होता है कि ऐतिहासिक नगर चंदेरी में नियम एवं कायदे कानून सिर्फ सामान्य कमजोर बल पर लागू होते हैं राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों और दबंगों के लिए नियम और कायदे कानून कोई महत्व नहीं रखते जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों की सहमति एवं संरक्षण अहम भूमिका निभाता है।

Share:


Related Articles


Leave a Comment