भोपाल: स्वर्ण जयंती सभागार, प्रशासन अकादमी में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भारतीय शिक्षा और गुरु-शिष्य परंपरा पर केंद्रित अपने विचार रखे। डॉ यादव ने संबोधन में भारतीय शिक्षा प्रणाली की ऐतिहासिक महत्ता को रेखांकित किया और नई शिक्षा नीति 2020 की सराहना की।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “हमारी शिक्षा परंपरा और गुरु-शिष्य संबंध ने हर युग में चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भगवान राम और महर्षि विश्वामित्र से लेकर श्रीकृष्ण और सांदीपनि आश्रम तक, शिक्षा ने समाज और शासन को नई दिशा दी है।” उन्होंने रामायण और महाभारत के उदाहरणों के माध्यम से शिक्षा की ताकत और उसके सकारात्मक प्रभावों का उल्लेख किया।
डॉ. मोहन यादव ने नई शिक्षा नीति 2020 का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई यह नीति भारत की गौरवशाली शिक्षा व्यवस्था को पुनः जाग्रत करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, “नई शिक्षा नीति न केवल हमारे अतीत पर गर्व करने का अवसर देती है, बल्कि आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए युवाओं को तैयार करती है।”
मुख्यमंत्री ने भारतीय शिक्षा प्रणाली पर हुए आक्रमणों का भी जिक्र किया। तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों के विध्वंस और लॉर्ड मैकाले द्वारा ध्वस्त की गई भारतीय शिक्षा व्यवस्था के प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “आज हमें अपनी जड़ों की ओर लौटने की आवश्यकता है, और यह नई शिक्षा नीति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
अपने संबोधन के समापन पर मुख्यमंत्री ने कहा, “भारत विश्व गुरु बनने का सपना देख रहा है, लेकिन यह ताकत और समृद्धि स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के कल्याण के लिए है। हमारी शिक्षा परंपरा हमें ज्ञान और शक्ति का संतुलित उपयोग सिखाती है।” उन्होंने शस्त्र और शास्त्र के पूजन की दशहरे पर पुनः स्थापना को सरकार की सांस्कृतिक धरोहर और शिक्षा के प्रति समर्पण का प्रतीक बताया।
इस अवसर पर राज्य के कई शिक्षकों को सम्मानित किया गया, और समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने मुख्यमंत्री के संबोधन की सराहना की।