ईडी की जांच ने खोली हिंडनबर्ग की पोल, अदाणी के शेयरों को पहुंचाया नुकसान

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट और उसके बाद शेयर बाजार की खस्ता हालत पर अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में झूठ से पर्दा हटा दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स हेवन में स्थित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई / एफआईआई) सहित एक दर्जन कंपनियां शॉर्ट पोजीशन के लिए "शीर्ष लाभार्थी" थीं। 

घरेलू निवेशकों और सेबी के साथ पंजीकृत एफपीआई/एफआईआई को डेरिवेटिव में व्यापार करने की अनुमति है। ऐसे उपकरण, जो निवेशकों को शॉर्ट पोजीशन लेकर बाजार जोखिमों से बचाव करने की अनुमति देते हैं। सेबी विनियमित शॉर्ट सेलिंग की अनुमति देता है और मानता है कि कांस्टेंट एफिशिएंट वैल्यू सर्च को विकृत कर सकते हैं, साथ ही प्रमोटरों को कीमतों में हेरफेर करने की निर्बाध स्वतंत्रता प्रदान करते हैं और इसके विपरीत, हेरफेर करने वालों का पक्ष लेते हैं।

ईडी के मुताबिक, जिसने जुलाई में सेबी के साथ अपनी रिपोर्ट को साझा करते हुए कई खुलासे किए, इनमें से कुछ शॉर्ट सेलर्स ने कथित तौर पर 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित होने से 2-3 दिन पहले ही पोजीशन ले ली थी और कुछ अन्य ने पहली बार शॉर्ट पोजीशन ली।

सूत्रों की मानें तो 12 संस्थाओं में से तीन भारत में हैं (एक विदेशी बैंक की भारतीय शाखा है) चार मॉरीशस में और एक-एक फ्रांस, हांगकांग, केमैन द्वीप, आयरलैंड और लंदन में स्थित हैं। 

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