कोरोना वायरस : इंदौर में भी संक्रमण रोकने कर्फ्यू लागू करने की घोषणा

इंदौर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए इंदौर कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने कोरोना वायरस के संक्रमण से जनसामान्य के स्वास्थ्य एवं जीवन की सुरक्षा के परिपेक्ष में इंदौर नगर निगम सीमा की सघन जनसंख्या को दृष्टिगत रखते हुए कर्फ्यू आदेश जारी किया है। इसका उद्देश्य लोक शांति बनाए रखने एवं सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक अलगाव सुनिश्चित करना है। इसके लिए भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत कर्फ्यू की घोषणा की गई है।

कलेक्टर ने यह आदेश दिए हैं कि, कोई भी व्यक्ति नगर निगम सीमा क्षेत्र में स्थित सड़कों,सार्वजनिक स्थलों, सार्वजनिक मार्गों अथवा अन्य किसी भी स्थल पर एकत्रित होने, खड़े होने, वाहन-यातायात का कोई साधन उपयोग करने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध किया गया है। नगर निगम इंदौर की सीमा में निवासरत सभी रहवासियों को निर्देशित किया गया है कि, वे अपने घरों पर ही रहें ताकि सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित की जा सके।

प्रातः 7:00 से दोपहर 2:00 बजे तक उपलब्ध होंगी दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएं

दैनिक जीवन की आवश्यकताओं से संबंधित खाद्य एवं पेय पदार्थ जैसे सब्जियां, ब्रेड,अनाज, दूध, डेयरी एवं किराने का सामान,पेयजल, जीवन रक्षक वस्तुएं आदि की दुकान 26 मार्च 2020 से आगामी आदेश तक प्रातः 7:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक खुली रहेंगी।

बुनियादी सेवा दे रहे इन व्यक्तियों, निर्माण इकाइयों को रहेगी छूट

शासकीय अथवा निजी चिकित्सकीय संस्था एवं उनमें कार्यरत लोग, पुलिस बल, नगर निगम, कार्यपालक मजिस्ट्रेट, विद्युत मंडल, इंटरनेट व टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर, एंबुलेंस सेवा, लोक शांति हेतु कार्य कर रहे अधिकारी, आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी में कार्यरत कर्मचारी, इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट एवं सोशल मीडिया, दवा दुकान, समस्त प्रकार के ईंधन परिवहन के साधन एवं भंडारण डिपो, खाद्यान्न, दाल, खाद्य तेल तथा अन्य खाद्य सामग्री की निर्माण इकाइयां, दवा, सैनिटाइजर, मास्क एवं चिकित्सकीय उपकरण एवं दवा में उपयोग लाई जा रही कच्ची सामग्री तथा इनकी निर्माण इकाइयों को इस प्रभाव से छूट मिली है।

यदि कोई व्यक्ति आदेश का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत अभियोजन किया जाएगा। कलेक्टर श्री जाटव के निर्देश है कि, यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील रहेगा एवं इसका उल्लंघन, भारतीय दंड विधान की धारा 188 के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा।

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