राजधानी भोपाल में किताबों में उलझा कमिशन का खेल, पेरेंट्स रहे झेल

भोपाल  : मध्यप्रदेश में नए शिक्षण सत्र की शुरूआत हो गई है। वहीं प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के लिए कॉपी-किताबें, यूनिफॉर्म, बेल्ट बेचने के लिए विशेष दुकानों के मालिक और स्कूल संचालकों के बीच सांठ-गांठ से कमीशनखोरी का खेल शुरू कर दिया हैं। एक तरफ जहां कमिशनखोरों पर नकेल कसने के लिए सीएम मोहन ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। तो दूसरी ओर नियम-कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। बीते दिन भोपाल की 4 दुकानों पर हुई छापामार कार्रवाई का असर भी दिखाई नहीं दे रहा है।

स्कूलों की मनमानी पालकों पर भारी 

स्कूलों में नए सत्र के आगाज के साथ कमिशन का खेल शुरू हो चुका है। क्योंकि स्टूडेंट्स को कॉपी-किताब, यूनिफॉर्म, बेल्ट और स्टेशनरी के सामान की जरूरत पड़ती है। इन्ही जरूरतों को देखते हुए शुरू होता है ये कमीशनखोरी का खेल। भोपाल के कई बड़े निजी स्कूलों की मनमानी के चलते पेरेंट्स को हर साल कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें से कुछ स्कूलों में बच्चों को स्कूल के अंदर से ही किताब और ड्रेस लेने के लिए मजबूर किया जाता है, तो कुछ स्कूल शहर के कुछ चुनिंदा किताबों के दुकानदारों से सांठ-गांठ कर पेरेंट्स को इन्हीं दुकानों से किताब खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।

छापामार कार्रवाई, फिर भी जारी कमीशनखोरी

सीएम डॉ. मोहन यादव ने स्कूलों में चल रही मनमानी को संज्ञान लेते हुए एक अप्रैल को आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार, कोई भी प्राइवेट स्कूल किसी निर्धारित दुकान से ही किताबें, यूनिफॉर्म और बाकी शिक्षण सामग्री खरीदने का दबाव अभिभावकों पर नहीं बना सकते। अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं प्रदेश के निजी स्कूल फीस अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर स्कूल संचालक पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने और स्कूल की मान्यता भी रद्द करने की बात कही थी। जिसके बाद जबलपुर की 17 दुकानों पर छापा पड़ा था तो 3 अप्रैल को भोपाल की 4 दुकानों पर छापामार कार्रवाई की गई। 

क्या दिखावे की कार्रवाई?

छापामार कार्रवाई के बाद अभी भी सांठगांठ से विशेष दुकानों से किताबों की बिक्री जारी है।  स्कूलों और बुक ड्रेस विक्रेताओं की शिकायत के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। अब सवाल ये खड़ा होता है कि क्या ये कार्रवाई महज दिखावे के लिए की गई है।

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