आबकारी नीति के लिए मंत्रि-परिषद समिति गठित, 1 अप्रैल से रिन्यू होगा लाइसेंस

Excise Policy 2020 :  भोपाल : वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए नई आबकारी नीति जारी कर दी है. राज्य के वित्त विभाग ने  इसके आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं. नई आबकारी नीति में आबकारी बंदोबस्त की अवधि का जिक्र किया गया है. नई नीति के अनुसार 1 अप्रैल, 2020 से लाइसेंस एक साल के लिए होगा. उसके बाद आगे एक साल की अवधि के लिए लाइसेंस रिन्यू किया जा सकेगा. 

राज्य शासन ने वर्ष 2020-21 के लिये आबकारी नीति के क्रियान्वयन और अनुषांगिक विषयों पर निर्णय लेने तथा परिस्थितिवश निर्मित स्थिति पर राजस्व हित में तात्कालिक निर्णय लेने के लिये तीन सदस्यीय मंत्रि-परिषद समिति का गठन किया गया है। समिति के सदस्य वाणिज्यिक कर मंत्री श्री बृजेन्द्रसिंह राठौर, वित्त, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री श्री तरूण भनोत, नर्मदा घाटी विकास और पर्यटन मंत्री श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल हैं।

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार आगामी महीने से आबकारी नीति में बड़ा बदलाव करने जा रही है। ये वो नीतियां हैं जो पूर्व शासित भाजपा सरकार द्वारा शराब कारोबार के लिए लागू की गई थीं। मौजूदा आबकारी नीति के हिसाब से शराब कारोबारी लगातार तीन साल से 15 फीसदी राशि बढ़ाकर शराब दुकानों का लाइसेंस ले रहे हैं। पर अब प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे बदलाव के बाद से लाइसेंस नवीनीकरण के लिए उन्हें कम से कम 25 फीसदी बढ़ी हुई राशि सरकार को चुकाना होगी। बता दें कि, यह व्यवस्था भी सिर्फ साल 2019-20 के लिए ही मान्य की गई है। इसके बाद आबकारी नीति में फिर से बदलाव करके सरकार द्वारा शराब दुकानों की नीलामी की जाएगी

लोकसभा चुनाव के चलते बड़ा बदलाव

जानकारी मिली है कि, सरकार द्वारा आबकारी नीति में बदलाव करने की तैयारी नए वित्तीय वर्ष से थी, लेकिन अनुमान है कि, मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लग सकती है। एक अप्रैल से नया लाइसेंस जारी होना है, इसलिए सरकार को फरवरी में ही लाइसेंस नवीनीकरण का काम शुरु करना होगा। ऐसे में नीति में बदलाव का असर वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिखाई देगा। फिलहाल 2019-20 के लिए लाइसेंस फीस को पिछले साल से बढ़ाकर 25 फीसदी तक किया जा सकता है।

सरकार को होगा इतना अधिका लाभ

चालू वर्ष में आबकारी विभाग द्वारा राज्य सरकार के खजाने में 9000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी होगी। अगर लाइसेंस फीस के लिए सरकार द्वारा यही प्रक्रिया पिछली बार ही लागू कर दी गई होती तो, सरकार को 1500 से 1800 करोड़ रुपए का राजस्व लाभ होता। अब इसे कम से कम 25 फीसदी करने की तैयारी है, जिससे राजस्व में ढाई से तीन हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी होगी। इस नीति में बदलाव के बाद सरकार का अनुमान है कि, वर्ष 2019-20 में उसे लगभग 12 हजार करोड़ रुपए राजस्व लाभ हो सकता है। इसमें भी सबसे ज्यादा राजस्व इंदौर से करीब 800 से 1000 करोड़ रुपए और भोपाल से 550 से 600 करोड़ रुपए प्राप्त होता है। इंदौर में 150 और भोपाल में करीब 90 शराब दुकानें हैं।

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