भोपाल। राजधानी के गौतम नगर क्षेत्र में कुत्तों के काटने से डेढ़ साल के मासूम की मौत पर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने नाराजी जताई है। आयोग ने इस घटना को नगर निगम अधिकारियों की संवेदनहीनता और कर्तव्यों की उपेक्षा बताया है। केरल का उदाहरण देते हुए आयोग ने ऐसी घटनाओं को रोकने के ठोस उपाय सुनिश्चित करने की नसीहत भी दी है। भोपाल की इस घटना में आयोग ने कहा है कि ऐसी घटना में मृतक के परिजन को आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान किया जाए। घटना यह दर्शाती है कि सामान्य तौर पर जिस कर्तव्य का निर्वहन नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को करना था, वह नहीं किया गया। घटना मानव अधिकारों के संरक्षण के प्रति संवेदहनहीनता और उपेक्षा दर्शाती है।
आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उससे मानव जीवन की सुरक्षा को खतरा होने के हालात को देखते हुए एनीमल वेलफेयर बोर्ड और मध्यप्रदेश शासन की ओर से प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहे कलेक्टरों का भी कर्तव्य है कि वे आवारा कुत्तों के कारण हो रही ऐसी वीभत्स घटनाओं को रोकने के ठोस उपाय करें। केरल का उदाहरण आयोग ने केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कुत्तों के काटने से हुई मृत्यु के संबं में गठित समिति द्वारा अलग-अलग परिस्थितियों में 20 लाख रुपए तक का मुआवजा राशि दिलाए जाने का आदेश दिया गया है। इसे केरल सरकार द्वारा शपथ पत्र देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अधिक बताते हुए अधिकतम राशि पांच लाख रुपए तक सीमित करने का आग्रह किया गया है।
आयोग ने यह भी कहा है कि इसी प्रकार की परिस्थितियां मध्यप्रदेश में भी लागू की जा सकती हैं। आयोग ने आयुक्त और कलेक्टर भोपाल से जानना चाहा है कि नगर निगम क्षेत्र में निवासरत व्यक्तियों के जीवन की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं। आवारा कुत्तों के काटने से होने वाली मृत्यु के संबंध में आर्थिक सहायता के लिए नियम, निर्देश या अन्य कोई व्यवस्था है कि नहीं?