मौसम की मार: आसमानी बिजली, गर्जना और बारिश ने खेतों में मचाई तबाही, किसान परेशान

भगत मागरिया की रिपोर्ट/चीताखेड़ा, नीमच – 27 सितंबर2024: किसानों के लिए आज का दिन बड़ी मुश्किल भरा साबित हुआ। सुबह से उमस भरी गर्मी और तेज धूप से आमजन बेहाल थे, वहीं दोपहर होते-होते मौसम ने करवट बदली और आसमान में काली घटाएं छा गईं। नीमच के चीताखेड़ा क्षेत्र में दोपहर बाद अचानक आसमान गरजने लगा और बिजली कड़कने लगी। इसके बाद आधे घंटे तक मूसलाधार बारिश होती रही, जिससे खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसलों को भारी नुकसान पहुँचाया। किसानों के लिए बारिश बड़ी संकट बनकर आया।

किसानों के लिए खरीफ का सीजन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस सीजन में मुख्यतः सोयाबीन की फसल उगाई जाती है, जिसे "पीला सोना" कहा जाता है। इस फसल की कटाई का समय अब आ चुका था और किसान पूरी मेहनत के साथ फसलों की कटाई कर रहे थे। लेकिन इसी बीच मूसलाधार बारिश ने फसल को बुरी तरह भिगो दिया और खेतों में पानी भर गया, जिससे फसलें बर्बाद हो गईं।

चीताखेड़ा में बारिश का असर बहुत व्यापक रहा। दोपहर से शुरू हुई बारिश ने लगातार आधे घंटे तक चली, जिससे किसानों की कट चुकी सोयाबीन की फसल खेतों में ही पानी में डूब गई। कई जगहों पर खेतों में पानी का जमाव हो गया, जिससे फसल को भारी नुकसान हुआ। बारिश का सिलसिला शाम हल्की रिमझिम के रूप में जारी रही। यह बारिश विशेषकर उन किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हुई है जिनकी फसलें कटाई के बाद खेतों में पुलिया (कोरिया) के रूप में रखी गई थीं। खेतों में पानी भरने से यह फसलें बर्बाद हो गईं और किसानों के लिए यह समय और भी कठिन हो गया।

सोयाबीन की फसल इस समय पूरी तरह पक चुकी थी और सूखने के बाद कटाई का काम तेजी से चल रहा था। लेकिन इस अप्रत्याशित बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। खेतों में पड़ा "पीला सोना" अब बर्बादी के कगार पर है। यह स्थिति विशेष रूप से उन किसानों के लिए मुश्किल भरी है, जिन्होंने इस फसल से इस सीजन में बेहतर उत्पादन और मुनाफा कमाने की उम्मीद की थी।

किसानों का कहना है कि इस मौसम ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। वे पहले से ही फसल में कीटों और बीमारियों की मार झेल रहे थे। इस बार सोयाबीन की फसल में पीले मोजेक की बीमारी और कीटों का हमला हो चुका था। किसानों ने इन समस्याओं से बचने के लिए दवाइयों का छिड़काव भी किया, लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं आई। अब इस बारिश ने फसल को और भी नुकसान पहुंचाया है। किसानों की माने तो प्रति बीघा फसल की पैदावार डेढ़ से दो बोरी तक सीमित रह गई है, जो कि एक बड़ी चिंता का विषय है। सोयाबीन की पैदावार में गिरावट और लगातार हो रहे नुकसान ने किसानों के सामने बड़ी आर्थिक चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।

इस अप्रत्याशित मौसम ने किसानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या आने वाले समय में उनकी खेती घाटे की खेती बनकर रह जाएगी। इस समय जब फसलों को बारिश की आवश्यकता थी, तब बारिश नहीं हुई और अब जब फसलें कटने के करीब हैं, तब बारिश ने आफत बनकर दस्तक दे दी। किसानों की इस हालत को देखकर यह स्पष्ट होता है कि प्राकृतिक आपदाओं और मौसम के बदलावों का सीधा असर उनकी आजीविका पर पड़ता है।

हालांकि, रबी सीजन की फसलों के लिए यह बारिश थोड़ी राहत भरी हो सकती है। इस बारिश से रबी की फसलों के लिए आवश्यक नमी मिल जाएगी, जिससे अगली फसल अच्छी हो सकती है। लेकिन अभी खरीफ सीजन की फसलों पर पड़ा यह असर किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यह बारिश विशेष रूप से सोयाबीन जैसी महत्वपूर्ण फसलों के लिए नुकसानदायक रही है, जो किसानों के लिए "पीला सोना" मानी जाती है।

कुल मिलाकर, इस अप्रत्याशित बारिश ने किसानों के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। मौसम की यह मार उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर बना रही है और आगे की खेती के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर रही है। किसानों को अब सरकार से मुआवजे की उम्मीद है, ताकि वे इस नुकसान से उबर सकें और अगली फसल की तैयारी कर सकें।

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