क्लाइमेट प्लेज ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन के लिए लॉन्च किया साझा चार्जिंग स्टेशनों का नया नेटवर्क

अमेज़न, महिंद्रा लॉजिस्टिक्स, उबर, एचसीएलटेक, ग्रीनको और डेलॉइट समेत प्लेज पर हस्ताक्षर करने वाली सभी कंपनियों के साथ-साथ उद्योग भागीदारों काज़म और मैजेंटा मोबिलिटी द्वारा समर्थित, यह साझा चार्जिंग स्टेशन अक्षय ऊर्जा से परिचालित हैं और 2030 तक बेंगलुरु में लगभग 5,500 इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थन कर सकेंगे

बेंगलुरु  - क्लाइमेट प्लेज ने आज अपने हस्ताक्षरकर्ताओं और उद्योग भागीदारों के साथ भारत के बेंगलुरु शहर में साझा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग स्टेशनों का एक नया नेटवर्क बनाने के लिए एक नई संयुक्त पहल – जेओयूएलई (जॉइंट ऑपरेशन यूनिफाइंग लास्ट-माइल इलेक्ट्रिफिकेशन) की घोषणा की। अमेज़न और ग्लोबल ऑप्टिमिज़्म द्वारा 2019 में सह-स्थापित, क्लाइमेट प्लेज पेरिस समझौते में तय 2040 के लक्ष्य के मुकाबले 10 साल पहले साल पहले नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

क्लाइमेट प्लेज के हस्ताक्षरकर्ता और भागीदार सामूहिक रूप से 2030 तक इस परियोजना में 2.65 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे। अमेज़न, महिंद्रा लॉजिस्टिक्स, उबर, एचसीएलटेक और मैजेंटा मोबिलिटी ईवी चार्जिंग स्टेशनों के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए मिलकर काम करेंगे, अपने ईवी बेड़े की चार्जिंग आवश्यकताओं को मिलाकर यह सुनिश्चित करेंगे कि बुनियादी ढांचे का अच्छी तरह से उपयोग किया जाए। उद्योग भागीदार और भारतीय ईवी चार्जिंग प्लेटफॉर्म, काज़म साझा चार्जिंग स्टेशनों का नेटवर्क बनाएगी। इस परियोजना को नवीकरणीय ऊर्जा प्रदाता ग्रीनको और रणनीतिक परामर्श भागीदार डेलॉइट भी समर्थन करेगी।

क्लाइमेट प्लेज की ग्लोबल लीडर, सैली फाउट्स ने कहा, "हमें क्लाइमेट प्लेज हस्ताक्षरकर्ताओं के साथ यह संयुक्त पहल शुरू करने पर गर्व है जो भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलाव का समर्थन करेगी, जिसमें 2030 तक तिपहिया वाहन, कैब सेवा और कॉर्पोरेट बेड़े को 100% ईवी में परिणत करने का बेंगलुरु का लक्ष्य भी शामिल है। यह परियोजना न केवल भारत के चार्जिंग बुनियादी ढांचे की कुछ मौजूदा चुनौतियों का समाधान करती है ताकि अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन अपनाए जा सकें, बल्कि कॉर्पोरेट जलवायु सहयोग के लिए एक नया मानक भी स्थापित करती है।"

इस परियोजना के तौर पर डोड्डकल्लसांद्रा में स्थित पहला ईवी चार्जिंग स्टेशन आज से पूरी तरह चालू है और इस परियोजना का लक्ष्य है, इस साल के अंत तक बेंगलुरु में पांच और चार्जिंग स्टेशन बनाना और स्थानीय ईवी बुनियादी ढांचे की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आगे विस्तार की योजना है। परियोजना से 2030 तक बेंगलुरु में लगभग 5,500 ईवी का समर्थन कर पाने का अनुमान है (अपेक्षित मांग के आधार पर), यह पूरी क्षमता पर लगभग 9,500 ईवी की सेवा करने में सक्षम है। उपयोग को अधिकतम करने के लिए, अन्य कंपनियों के लिए दिन के दौरान अपने बेड़े के वाहनों को चार्ज करने के लिए बुनियादी ढांचा भी उपलब्ध होगा।

चार्जिंग स्टेशनों द्वारा उपयोग की जाने वाली सारी बिजली (जो 22,700 मेगावाट-घंटे के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है) की 100% भरपाई नवीकरणीय ऊर्जा से होगी, जो 2030 तक अनुमानित 6.2 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के बराबर होगी। उसी साल तक, इस परियोजना से 11.2 मिलियन लीटर से अधिक ईंधन की बचत होने और अनुमानित तौर पर 25,700 टन कार्बन-डाइऑक्साइड में कमी होने की भी उम्मीद है। टेल पाइप उत्सर्जन को कम करने के अलावा, यह परियोजना 2024 से 2030 के बीच बेंगलुरु में अनुमानित 185 पूर्णकालिक नौकरी का सृजन करेगी।

कर्नाटक सरकार में उद्योग आयुक्त, भारतीय प्रशासनिक सेवा के गुंजन कृष्णा ने कहा, "बेंगलुरु में ईवी चार्जिंग स्टेशनों का एक साझा नेटवर्क स्थापित करना, इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को बढ़ावा देने के हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और हम क्लाइमेट प्लेज के नेतृत्व में इस नवोन्मेषी सहयोग का पूर्ण समर्थन करते हैं। यह पहल न केवल ईवी बुनियादी ढांचे की पहुंच को बढ़ाती है, बल्कि भारत के अपेक्षाकृत अधिक वहनीय भविष्य की ओर बढ़ने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की शक्ति भी प्रदर्शित करती है।"

डेलॉइट के नए श्वेतपत्र के अनुसार, भारत को 2030 तक सभी नए वाहनों की बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी 30% करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, देश को प्रति 20 वाहनों पर 1 चार्जिंग स्टेशन की आवश्यकता होगी। मौजूदा अनुपात - लगभग 135 ईवी पर 1 चार्जिंग स्टेशन - इससे काफी कम है और देश के ईवी में बदलाव में बाधा डालता है। ईवी चार्जिंग स्टेशनों की कमी, उपयोग दरों में अनिश्चितता, रेंज की चिंता, ऊंची पूंजी लागत और लाभों के बारे में जागरूकता की कमी के कारण व्यवसायों द्वारा चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने में हिचकिचाहट जैसी प्रमुख चुनौतियां संभावित ईवी मालिकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं।

संयुक्त सहयोग परियोजना समर्पित चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर इन चुनौतियों का समाधान करती है जो कॉर्पोरेट उपभोक्ताओं के लिए प्राथमिकता वाली पहुंच, सुरक्षा सेवा, आवश्यक सुविधा और समर्पित पार्किंग स्लॉट प्रदान करते हैं। मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों की कंपनियों को साथ लाकर और उपयोग की मांग को इकट्ठा (एग्रीगेट) कर, परियोजना बुनियादी ढांचे की उपयोग दर और वित्तीय व्यवहार्यता पर अधिक निश्चितता भी प्रदान करती है।

डेलॉयट साउथ एशिया के पार्टनर, क्लाइमेट चेंज एवं सस्टेनेबिलिटी लीडर, शैलेश त्यागी ने कहा, "भारत का सड़क परिवहन क्षेत्र अभी भी डीजल और पेट्रोल पर बहुत अधिक निर्भर है, जिसका प्रदूषण और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन यहां एक उम्मीद की किरण है - भारत में ईवी की पहुंच अन्य देशों की तुलना में कम है, लेकिन 2030 तक यह दुनिया के सबसे बड़े ईवी बाज़ारों में से एक बन जाने की उम्मीद है। विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों को एक साथ लाकर, यह पहल ईवी चार्जिंग के लिए एक अधिक टिकाऊ और कुशल मॉडल बनाने में मदद कर रही है - और भारत में ईवी अपनाने में तेज़ी ला रही है।"

काज़म के सीओओ और सह-संस्थापक, पारस शाह ने कहा, "काज़म को ई-कॉमर्स और इलेक्ट्रिक फ्लीट ऑपरेटरों के लिए तैयार किए गए हमारे उन्नत ईवी चार्जिंग समाधानों के ज़रिये क्लाइमेट प्लेज और इसके हस्ताक्षरकर्ताओं का समर्थन करने पर गर्व है। हमें जेओयूएलई परियोजना में अपनी भागीदारी की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है, जो स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। काज़म में, हमारा मानना है कि जेओयूएलई परियोजना, जलवायु परिवर्तन से निपटने और ग्रीन मोबिलिटी में बदलाव को आगे बढ़ाने के हमारे साझा मिशन की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।"

पिछले साल, क्लाइमेट प्लेज ने लेनशिफ्ट पहल की घोषणा की थी जिसके तहत भारत और लैटिन अमेरिका के प्रमुख शहरों में शून्य-उत्सर्जन वाले इलेक्ट्रिक ट्रकों और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और तैनाती को गति देने के लिए सी40 शहरों को 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई थी। भारत में, लेनशिफ्ट मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली और पुणे में ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और ईवी वाहनों की तैनाती में तेज़ी लाएगा, जिससे उत्सर्जन कम करने, हवा साफ करने और नए रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी।

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