मुख्यमंत्री ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर दिए कई सौगात

जबलपुर में वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में आदिवासी अंचल की राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मु जी दुनिया भर में श्रद्धा का केन्द्र बनी हैं। रानी दुर्गावती के जन्म शताब्दी अभियान का ये हिस्सा है। 5 अक्टूबर, रानी दुर्गावती के जन्म शताब्दी समापन तक हर महीने रानी दुर्गावती के गौरवशाली इतिहास को लेकर उत्सव मनाया जाएगा। जिसके माध्यम से रानी दुर्गावती की गाथा से क्षेत्र में जाग्रति फैलाने का काम करेंगे। 
डॉ यादव ने कहा कि वनांचल के अंदर जो प्रतिभाएं हैं, उनको पूरे देश में पहुंचाने की जरूरत है। हमारी सरकार ने तय किया है कि अलग-अलग प्रकार से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर, सेमिनार के माध्यम से रानी दुर्गावती का चरित्र हम दुनिया के सामने ले जाएंगे।

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने की घोषणाएं

डॉ यादव ने रानी दुर्गावती के नाम से 5 लाख रुपये का पुरस्कार घोषित किया। जिसके माध्यम से रानी दुर्गावती के विविध पक्षों को सामने लाया जाएगा। जबलपुर के 'गढ़' में रानी दुर्गावती एयरपोर्ट और स्टेडियम बनाने के लिए भारत सरकार से मंजूरी दिलाने का काम किया जाएगा। इस दौरान डॉ यादव ने रानी दुर्गावती के नाम पर जबलपुर में ब्रिज बनाने की भी घोषणा की। 30 जून तक जल संवर्धन अभियान चल रहा है। तालाबों के संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं, क्योंकि ये ताल नहीं, जिंदगी है।

जबलपुर में हुई थी पहली कैबिनेट बैठक 

डॉ यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के माध्यम से रानी दुर्गावती के 500वीं जयंती का यह वर्ष प्रारम्भ हुआ है। डॉ यादव ने कहा कि हमारे वीर बहादुरों ने युद्ध मे कभी पीठ नहीं दिखाई। अकबर ने हमारे सैनिकों के साथ अन्याय किया। आधुनिक तोप के प्रयोग से रानी दुर्गावती जी की हाथी वाली सेना को युद्ध लड़ने में कठिनाई हुई। 

डॉ यादव ने कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद हमने मंत्री परिषद के साथ जबलपुर में पहली कैबिनेट कर रानी दुर्गावती माँ के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित किया। रानी दुर्गावती ने अतीत के काल में अंग्रेजों से 52 युद्ध लड़े। रानी दुर्गावती एक ऐसी विरांगना है जो ना केवल युद्ध जितने का हिम्मत रखती हैं, बल्कि सुशासन के सभी मापदण्ड पूरे करती है। 

रानी दुर्गावती के गौरवशाली इतिहास को सामने लाने की जरूरत

रानी दुर्गावती ने कई बार अकबर की सेना को धुल चटाने का काम किया, ये गौरवशाली पक्ष दुनिया के सामने लाने की जरूरत है। वो अपने सेवकों का भी ध्यान रखती थी। उन्होंने सहयोगी के नाम पर आधारताल, सहेली के नाम पर चेरीताल, जल रचनाओं की रचना और पुरस्कारों के नाम रखे। रानी दुर्गावती के माध्यम से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नवीन और नवाचार करने का रिकॉर्ड बना है।

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